पटना:आज की इस मतलबी हो चुकी दुनिया में ज्यादातर लोगों का दूसरों से कोई वास्ता नहीं होता है और न ही कोई इस तेज भागती जिंदगी में दूसरों की बेहतरी के लिए सोचने का वक्त निकाल पाता है. जहां तक पशुओं की बात है तो शायद ही ऐसे लोग हैं जो पशुओं की बेहतरी के लिए सोचते हो. लेकिन राजधानी के अतुल्य गुंजन ऐसे ही लोगों में से एक (Atulay Gunjan from Patna Is An Animal Love)r हैं. जिन्होंने कुत्तों को आसरा देने के लिए पटना में एक नहीं बल्कि दो-दो जगहों पर किराए पर फ्लैट लिया हुआ है. इन कुत्तों में ज्यादातर वैसे देसी नस्ल के कुत्ते हैं जो किसी की यातना के शिकार बने हैं या फिर जिनका एक्सीडेंट हो गया था.
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अतुल्य हैं एनिमल लवर :अतुल्य ने एक फ्लैट आशियाना में लिया हुआ है. जबकि दूसरा फ्लैट अनीसाबाद के किसान कॉलोनी में लिया हुआ है. एक फ्लैट में 5 और दूसरे फ्लैट में 5 कुत्ते एक साथ रहते हैं. इन कुत्तों में साथ देसी नस्ल के कुत्ते हैं जबकि तीन विदेशी नस्ल के हैं. इस काम में उनका साथ साथ उनकी सहयोगी मोना देती हैं. अतुल्य एक वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी में काम करते हैं और अपनी सैलरी का करीब करीब 70% हिस्सा इन कुत्तों के देखभाल और लाइट का रेंट देने में लगा देते हैं. खास बात यह है कि यह कुत्ते भले ही किसी नस्ल के हैं लेकिन अतुल्य इनको वैक्सीनेशन से लेकर इनकी बीमारी तक का सारा ख्याल रखते हैं. जितने भी कुत्तों को अतुल्य ने फ्लैट में रखा हुआ है, सबका अनिवार्य वैक्सीनेशन किया जाता है. इनको विभिन्न प्रकार के टीके भी दिए गए हैं ताकि उन्हें किसी प्रकार की कोई बीमारी न हो.
'पशुओं से मेरा लगाव शुरू से था. करीब 4 साल पहले मैंने इस बारे में सोचा. मेरे पास एक ऐसा भी कुत्ता है जिसके कमर के नीचे का हिस्सा लकवा ग्रस्त है. डॉक्टर का कहना था कि इस कुत्ते के नस में कोई प्रॉब्लम है. इसे किसी ने डंडे से मारा था. इसका इलाज भी करवाया लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ. जिसके कारण यह एक ही जगह पर पड़ा रहता है. मुझे इसकी विशेष देखभाल करनी पड़ती है. यहां तक कि मैं मीटिंग में भी जाता हूं तो मुझे इसको लेकर जाना पड़ता है.'- अतुल्य, एनिमल लवर
कुत्तों को अतुल्य ने फ्लैट में रखा हुआ है :यह पूछे जाने पर कि इसके लिए जरूरी खर्च कैसे मेंटेन करते हैं, अतुल्य बताते हैं कि वेस्ट मैनेजमेंट के काम को करने के दौरान जो अरनिंग होती है, उस से काम चल जाता है. घर वाले भी सहयोग करते हैं. मैं इसके लिए कहीं से फंड नहीं लेता. अतुल्य के इस अतुलनीय काम में सहयोग करने वाली मोना बताती है कि इन कुत्तों को हैंडल करना बिल्कुल बच्चों के हैंडल करने जैसा ही होता है. यह हमारे रूटीन में नहीं ढलते बल्कि हमें इनके रूटीन में ढलना पड़ता है. सुबह उठने से लेकर रात में सोने के वक्त तक हमारी प्रायरिटी इनकी रूटीन होती है.