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जीतनराम मांझी के बयान पर ब्राह्मण समाज में आक्रोश, सार्वजनिक तौर पर माफी की मांग

ब्राह्मणों पर मांझी के विवादित बयान (Manjhi Controversial Statement on Brahmins) से ब्राह्मणों में काफी आक्रोश है. पटना में राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की. साथ ही जीतनराम मांझी से सार्वजनिक तौर पर माफी की मांग की. पढ़ें रिपोर्ट..

मांझी के खिलाफ ब्राह्मणों में आक्रोश
मांझी के खिलाफ ब्राह्मणों में आक्रोश

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Published : Dec 21, 2021, 5:30 PM IST

पटना:हम प्रमुख जीतनराम मांझी (HAM Chief Jitan Ram Manjhi) ब्राह्मणों पर विवादित बयान देकर मुश्किल में फंस गए हैं. जीतनराम मांझी के आपत्तिजनक बयान से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. वहीं, दूसरी तरफ पटना में मांझी के खिलाफ ब्राह्मणों में आक्रोश है. पटना के स्वर्ण आयोग कार्यालय गेट के पास में राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के द्वारा नारेबाजी की गई. जीतनराम मांझी से माफी मांगने को लेकर राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के लोगों ने आक्रोश जताया.

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जीतनराम मांझी ने ब्राह्मण समाज को लेकर जो टिप्पणी की थी और बातों को जिस तरह से गोल गोल घुमा रहे है, उसके बाद पूरे ब्रहामण समाज में आक्रोश है. इसके साथ ही कई अलग-अलग थानों में मांझी के खिलाफ शिकायत दर्ज का सिलसिला भी तेज हो गया है. मांझी के इस बयान से पूरे ब्राह्मण महासभा में आक्रोश काफी बढ़ गया है. राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष आशुतोष कुमार झा ने कहा कि जीतन राम मांझी हमेशा उन्माद फैलाने वाला बयान देते रहते हैं. कभी कहते हैं कि राम को नहीं मानते हैं तो अब ब्राह्मणों को लेकर उन्होंने जो बयान दिया है, वो अशोभनीय है.

मांझी के खिलाफ ब्राह्मणों में आक्रोश

''मांझी मुख्यमंत्री के पद पर भी रह चुके हैं, लेकिन उनका दिमाग इन दिनों पूरी तरह से खराब हो गया है. इसी का नतीजा है कि वह उल जलूल बयान देते रहते हैं. एनडीए की सरकार से हम मांग करते हैं कि जल्द से जल्द उनको बेदखल किया जाए. जीतन राम मांझी अविलंब खुले मन से ब्राह्मण समाज से माफी मांगे. ब्राह्मण समाज हमेशा से माफ करने वाली जाति रही है, ऐसे में जीतनराम मांझी सार्वजनिक रूप से माफी मांगेंगे तो उनको माफ किया जाएगा. अन्यथा जब तक मांझी सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगेंगे इस तरह का विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.''-आशुतोष कुमार झा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा

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उन्होंने सरकार से मांग किया कि अगर इस तरह के किसी समाज को गाली देने का काम मांझी के द्वारा किया जाता है तो उनके खिलाफ अविलंब करवाई किया जाए. वही उन्होंने मांझी के माफी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उसमें साफ तौर पर उनके द्वारा यह कहा गया है कि हम ब्राह्मणों के लिए ना ही अपनी जाति के लिए हरामि शब्द का प्रयोग किए हैं ऐसे में ब्राह्मण समाज के लोगों का कहना है कि आप अपने ही जाति को हरामि क्यों कह रहे हैं कहीं ना कहीं यह गलत है मांझी को माफी मांगना चाहिए.

वहीं, सुधा ओझा ने बताया कि जीतनराम मांझी से कोई भी इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं कर सकता है, लेकिन जीतनराम मांझी जिस जाति से आते हैं, वह अपनी जाति का पूरा रंग रूप दिखा रहे हैं. चूहा खाकर उनका दिमाग नष्ट हो गया है. उन्होंने कहा कि मांझी ने इससे पहले भगवान राम को लेकर भी बयान दिया था कि हम राम को नहीं मानते हैं. ऐसे में उन्होंने कहा कि मांझी कौन जात है, उनको भली-भांति पता है. मांझी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है.

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