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पंचायत चुनाव के कारण अटकी फर्जी पेंशनरों से राशि की वसूली - मुजफ्फरपुर न्यूज

पेंशन योजनाओं में फर्जीवाड़े का खुलासा तो पहले हो चुका है. लेकिन इसके राशि की वसूली अबतक नहीं हो पायी है. ऐसे में पंचायत चुनाव का आना भी अहम है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 22, 2021, 10:25 AM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना (Social Security Pension Scheme) में बड़े फर्जीवाड़ा की जांच पंचायत चुनाव के चलते अटकी है. इससे ऐसे पेंशनरों से न तो राशि की वसूली हो पा रही है और न ही कोई कानूनी कार्रवाई, जो फर्जीवाड़े कर पैसा उठाव किये हैं.

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme) एवं मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना में फर्जीवाड़ा (Scam In Pension Scheme) का मामला सामने आया था. इसके बाद जुलाई में ही समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने संदेहास्पद पेंशनरों का भौतिक सत्यापन कराने और गड़बड़ी मिलने पर राशि की वसूली व कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया था. आदेश आने के कुछ दिनों के बाद ही पंचायत चुनाव की घोषणा हो गई. प्रखंड व पंचायत कर्मियों की इसमें व्यस्तता से भौतिक सत्यापन नहीं हो सका.

फर्जीवाड़ा की संभावना को देखते हुए विभाग ने सभी संदेहास्पद पेंशनरों की पेंशन पर जुलाई में ही रोक लगा दी थी. भौतिक सत्यापन पूरा होने तक पेंशन बंद कर दी है. जांच में फर्जी पाए जाने वाले पर राशि वसूली व प्राथमिकी के आदेश दिए गए थे. मुजफ्फरपुर में संदेहास्पद पेंशनरों की संख्या करीब 23,737 है. इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पेंशन योजना में 23,713 व मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना में 24 पेंशनर संदेहास्पद हैं.

बता दें कि प्रखंडवार संदेहास्पद पेंशनरों की संख्या निम्न प्रकार हैं:-

प्रखंड पेंशनर
औराई 626
बंदरा 681
मोतीपुर 931
बोचहां 2423
ढोली 394
गायघाट 1537
कांटी 1343
कटरा 606
कुढनी 2212
मड़वन 495
मीनापुर 1156
मुशहरी 2559
पारू 2070
साहेबगंज 2191
सकरा 1289
सरैया 3224

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संदेहास्पद पेंशनरों की पेंशन जुलाई से ही बंद कर दी गई है. पंचायत चुनाव के चलते कई प्रखंडों से अभी भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट नहीं मिली है. रिपोर्ट आने के बाद विभाग के निर्देशानुसार राशि की वसूली की जाएगी. - ब्रजभूषण कुमार, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग, मुजफ्फरपुर


समाज कल्याण विभाग द्वारा आधार आधारित जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने की शुरुआत के बाद मामले का पर्दाफाश हुआ. विभाग ने डीबीटी (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ) सिस्टम से पेंशनरों के बैंक खाते में राशि भेजने की शुरुआत की. इसके लागू होने के बाद हर वर्ष पेंशनरों को आधार आधारित जीवन प्रमाणपत्र जमा करना होता है. इसमें मामला पकड़ में आया. अब देखना होगा कि कितनी जल्द मामले की जांच पड़ताल कर विभाग सरकारी राशि का जो उठाव हुआ है वह वापस करा पाता है.

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