गया: सूबे में सबसे गर्म जिले के रूप में विख्यात गया में इन दिनों पारा 40 से 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. जहां आमजन इस गर्मी से बेहाल हैं वहीं, बेजुबान पशु-पक्षी भी पानी के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में गया की महिलाएं खुद ही कंक्रीट के बर्तन बनाकर बेजुबान पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए पानी रख रही हैं.
वात्सल्य निर्भया शक्ति की मुहिम
गया की भूगोलिक संरचना गर्मी का अहसास अधिक कराती है. पहाड़ों और सूखी नदियों से घिरे इस जिले के सभी प्रखंडो में इन दिनों पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. लेकिन यहीं पहाड़ों पर बसी शहमीर तकिया की महिलाओं ने पक्षियों और आवारा पशुओं के प्यास मिटाने का जिम्मा उठाया है. वात्सल्य निर्भया शक्ति से जुड़ी ये महिलाएं खुद से 90 कंक्रीट के बरतन बनाकर घर, पहाड़ों, मंदिरों और अस्पतालों में रख रही हैं.
वात्सल्य निर्भया शक्ति की महिलाओं से बातचीत करते संवाददाता महिलाओं ने मिलकर की मदद
समूह से जुड़ी महिला सत्यावती देवी बताती हैं कि वे महिलाओं के हितों के लिये विभिन्न तरह के कार्य करती हैं. जिस पहाड़ी में वे रहती हैं, वहां आम दिनों में अधिक पक्षी दिखाई देते थे. लेकिन गर्मी आते ही वे यहां से चले गए. पिछले वर्ष यहां पानी की वजह से बहुत पक्षियों का मौत हो गयी थी. इसलिए इस वर्ष हम सभी महिलाओं ने मिलकर ये बर्तन बनाया है ताकि पक्षी पानी की कमी से इस जगह को छोड़कर न जाएं.
छात्रों का भी योगदान
सत्यावती ने बताया कि उनकी संस्था के छात्रों ने बर्तन का निःशुल्क पेंट किया है. ये बर्तन दो रूपों में हैं. छोटा बर्तन पक्षियों तथा बड़ा पशुओं के लिए है. वे कहती हैं कि महिलाएं परुषों के मुकाबले अधिक संवेदनशील होती हैं इसलिए इन बर्तनों में पानी डालने का जिम्मा महिलाओं को सौंपा गया है. इन महिलाओं ने खुद से अपने छतों और पहाड़ों पर ये बर्तन रखा है. आने वाले समय में शहर के प्रमुख स्थानों पर ये बर्तन रखकर उसमें पानी रखने की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी.