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मोतिहारी सदर अस्पताल में भगवान भरोसे हो रहा मरीजों का इलाज - generator

मोतिहारी के सदर अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. यहां न तो 24 घंटे डॉक्टरों की तैनाती रहती है और न ही मरीजों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है.

मोतिहारी सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल

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Published : Jul 2, 2019, 2:35 PM IST

Updated : Jul 2, 2019, 2:47 PM IST

पूर्वी चंपारण: बिहार की राजधानी पटना के बाद पूर्वी चंपारण में स्वास्थ्य सेवा के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. दो बार केंद्र सरकार से काया कल्प पुरुस्कार जीत चुके मोतिहारी के इस सदर अस्पताल में इलाज कराने आये मरीज भगवान भरोसे हैं. यहां स्वास्थ्यकर्मी अकसर अपनी ड्यूटी से नदारद रहते हैं. मरीजों को बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई जाती हैं.

स्वास्थ्यकर्मियों पर लापरवाही का आरोप
जिले के 60 लाख की आबादी के स्वास्थ्य का जिम्मा सदर अस्पताल पर है. लेकिन यहां इलाज कराने के लिए आने वाले मरीज चिकित्सकों के बदले भगवान के रहमो करम पर ही ठीक होकर जाते हैं. मरीज के परिजनों का कहना है कि चिकित्सक अपने इच्छानुसार मरीजों को देखने आते हैं. दिनभर में एक या दो बार नर्स आती है. अगर कभी किसी मरीज को जरूरत पड़े तो बार-बार आवाज देने पर भी कोई नहीं सुनता.

पेश है रिपोर्ट

खराब पड़े हैं सभी पंखे
इस भीषण गर्मी में पूरा जिला एईएस और लू की चपेट में है. लोग गर्मी से व्याकुल हैं. लेकिन सदर अस्पताल के पिकु वार्ड को छोड़कर सभी वार्ड में लगे पंखे खराब पड़े हैं. लोग अपने घर से टेबल या स्टैंड फैन लेकर आते हैं. बिजली कट जाने के बाद जेनरेटर चलाने में भी मनमानी की जाती है. इस संबंध में सदर अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के सदस्य का कहना है कि वह अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने में लगे हुए हैं. इसके लिए सभी के सहयोग की जरुरत है.

सभी वार्ड में लगे पंखे खराब पड़े हैं.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इलाज कराने आए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस भीषण गर्मी में भी वार्ड में लगे सभी पंखे खराब पड़े हैं. नल से पानी नहीं आ रहा है. मामूली खराबी से बेकार पड़ा हैंडपंप भी सरकारी व्यवस्था का पोल खोल रहा है. चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी से पहले से ही सदर अस्पताल जूझ रहा है. जो चिकित्सा कर्मी पदस्थापित हैं वो अपनी ड्यूटी से नदारद हैं. खुद सिविल सर्जन ने भी इसे स्वीकारा है और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने की बात कही है.

डॉ. बीके सिंह, सिविल सर्जन

आकड़ों के अनुसार-

  • 37 चिकित्सा प्रभारी के बदले यहां मात्र 18 पदस्थापित हैं.
  • 100 ए ग्रेड नर्सों के बदले मात्र 28 ही कार्यरत है.
  • मिश्रक के 5 पदों में 3 पर पदस्थापना है.
  • टेक्निशियन के 6 पदों में से 5 पद खाली है.
  • प्रयोगशाला प्रावैधिक के 4 पदों में से 3 पद पर कर्मी पदस्थापित है.
  • परिधापक के 3 पद में से दो खाली हैं.
  • परिचारी के 30 पद में से मात्र 17 पर कर्मियों की पदस्थापना है.
  • सदर अस्पताल में वरीय वैज्ञानिक सहायक का एक ही पद है और वह भी खाली है.
Last Updated : Jul 2, 2019, 2:47 PM IST

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