मुजफ्फरपुर: बिहार में चमकी बुखार से अब तक 189 बच्चों की मौत हो गई हैं. मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में इसे चमकी बुखार कहा जा रहा है, लेकिन प्रशासन बीमारी की असल वजह और इलाज ढूंढने में विफल साबित हुआ है.
इन सब के बीच गोरखपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफील खान, जिन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर की कथित कमी के कारण एक अस्पताल में बड़ी संख्या में जापानी इंसेफेलाइटिस पीड़ित बच्चों की मौत के बाद पिछले साल निलंबित कर दिया गया था, आजकल मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं और इंसेफेलाइटिस पीड़ित बच्चों को अपनी सेवाएं देने में लगे है.
'डॉ कफ़ील खान की जितनी प्रशंसा की जाए उतना ही कम'
इस बीच, डॉ कफील खान से मिलने उनके कैंप में कन्हैया कुमार पहुंचे, अपना योगदान देने का वादा किया. डॉ कफील खान ने कहा कि कन्हैया जी उन्हें खोजते हुए, उनसे मिलने आए, और मदद देने का वादा किया है. इस के बाद कन्हैया कुमार ने उनको शुक्रिया कहा. साथ ही मदद देने का भी वादा किया.
चमकी बुखार पीड़ितों से कन्हैया कुमार ने की मुलाकात
इससे पहले सीपीआई नेता और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल अस्पताल में पीड़ित बच्चों के स्वास्थ्य के विषय में जानकारी लेने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने अस्पताल अधीक्षक से मुलाकात की और वार्ड में जाकर मरीजों का हालचाल लिया था.
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब डॉ कफील खान और कन्हैया मिले हो. इससे पहले भी लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ कफील खान बेगूसराय पहुंचे थे और कन्हैया के समर्थन से चुनाव प्रचार किया था. कन्हैया ट्वीट कर अपने फेसबुक पेज पर फोटो भी शेयर किया था.
कौन हैं डॉ कफील खान?
11 अगस्त 2017 को यूपी के गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में Oxygen की कमी की वजह से कई बच्चों की मौत हो गई थी. इस हादसे की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने नौ लोगों को ज़िम्मेदार माना था, जिसमें डॉ. कफील खान भी शामिल थे. उस दौरान डॉ कफील खान पर आरोप भी लगे और उन्हें कई महीने तक जेल में भी रहना पड़ा था.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जमानत पर रिहा किए जाने के बाद 'सभी के लिए स्वास्थ्य' अभियान का संचालन करने वाले डॉ कफील शहर के कई इलाके में शिविर लगाकर रोगी बच्चों का मुफ्त इलाज कर रहे हैं. कफील ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी दिमागी बुखार के लक्षणों के प्रबंधन के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से वीडियो जारी किया है. चमकी बुखार का एक कारण हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त शर्करा) का स्तर बहुत कम हो जाना भी है.