सीतामढ़ी: जिले का अधिकांश प्रखंड बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है. इस क्षेत्र के किसानों को प्रति वर्ष बाढ़ के कारण काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसे में जिले के किसान परंपरागत प्रभेदों की खेती छोड़ नए प्रभेदों की खेती कर अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं.
परंपरागत प्रभेदों की खेती से किसानों को नुकसान
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के किसान अब तक धान की उन प्रभेदों की खेती करते आ रहे हैं जो वर्षों पूर्व से चली आ रही है. ऐसे में उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है. धान की खेती के लिए नदी किनारे के खेतों में कानहर, भासर, परवापाख जैसे प्रभेदों का इस्तेमाल किया जाता है.
नए प्रभेदों के इंतजार में किसान
किसान बताते हैं कि इसका पौधा अधिक लंबा होने के कारण बाढ़ ग्रस्त खेतों में थोड़ी बहुत उपज हो जाती है. लेकिन जितनी लागत खेती में लगती है उतनी आमदनी नहीं हो पाती है. लिहाजा किसान अब नए प्रभेदों के इंतजार में हैं, ताकि खेतों में अधिक उपज हो और आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके.
स्वर्णा सब 1 धान से किसानों को मिलेगा लाभ
इसके लिए कृषि विभाग ने स्वर्णा सब 1 धान विकसित किया है जो बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के किसानों के लिए काफी उपयुक्त साबित होगा. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जहां जलजमाव होता है वैसे जगहों पर अगर किसान स्वर्णा सब 1 लगाएं तो पानी और जल जमाव का असर इस प्रभेदों के ऊपर नहीं होता है. कुछ बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में किसान इसकी खेती कर रहे हैं. उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है.
अनिल कुमार राय, जिला कृषि पदाधिकारी 50 से 60 क्विंटल तक उपज की जा सकती है
स्वर्णा सब 1 प्रभेद लगाकर एक हेक्टेयर में 50 से 60 क्विंटल तक की उपज की जा सकती है. यह 150 से 160 दिनों के भीतर तैयार हो जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि 10 से 15 दिनों तक रोजाना पानी में डूबे रहने के बावजूद इसका पौधा पुनर्जीवित होकर ज्यादा से ज्यादा उपज प्रदान करता है. इसके ऊपर पानी का प्रभाव नहीं होता है. इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी का भी प्रावधान दिया गया है.