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चिरमिरी में मुस्लिम समुदाय ने निकाला ताजिया जुलूस, जानिए इस दिन क्यों मनाया जाता है मातम - Muharram procession

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 17, 2024, 10:56 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : बुधवार को मुहर्रम के मौके पर चिरमिरी में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकाल कर मातम मनाया. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आशूरा के दिन का एहतिमाम किया. यहां मुहर्रम के शुरुआती नौ दिनों तक मजलिस भी आयोजित की गई. 

क्या है आशूरा ? : आशूरा का दिन, यानी पहले इस्लामी महीने 'मुहर्रम' की 10 तारीख. मुसलमानों के दो बड़े पंथ हैं- सुन्नी और शिया. दोनों ही समुदाय इस दिन का एहतिमाम करते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना माना गया है. यानी मुहर्रम इस्लाम के नए साल या हिजरी सन का पहला महीना है. मुहर्रम बकरीद के 20 दिन बाद मनाया जाता है. मुहर्रम माह के 10वें दिन यानी 10 तारीख को आशुरा कहा जाता है. 

क्यों मनाया जाता है मातम ? : आशूरा के इस दिन को इस्लामिक कैलेंडर में बेहद अहम माना गया है. इसी महीने में हजर इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. हजरत इमाम हुसैन, इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे. उनकी शहादत की याद में ही मुस्लिम समुदाय मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को मातम मनाते हैं, जिसे आशूरा भी कहा जाता है. इस दिन मुस्लिम समाज के लोग देशभर में जुलूस निकालते हैं. 

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