मुंबई: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) आधारित लेन-देन की मात्रा इस साल की पहली छमाही (H1 2024) में 52 प्रतिशत बढ़कर 78.97 बिलियन हो गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 51.9 बिलियन थी. इस बात की जानकारी गुरुवार को एक रिपोर्ट में सामने आई. इसी तरह, इस साल के पहले छह महीनों में लेन-देन का मूल्य 40 प्रतिशत बढ़कर 83.16 लाख करोड़ रुपये से 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गया.
महीने के हिसाब से UPI लेनदेन की संख्या पिछले साल जनवरी में 8.03 बिलियन से बढ़कर जून में 13.9 बिलियन हो गई. भुगतान सेवाओं में वैश्विक अग्रणी वर्ल्डलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, वॉल्यूम में यह वृद्धि लेनदेन मूल्य में वृद्धि से मेल खाती है, जो पिछले साल जनवरी में 12.98 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर जून में 20.07 लाख करोड़ रुपये हो गई.
वर्ल्डलाइन इंडिया के सीईओ रमेश नरसिम्हन ने कहा कि "यूपीआई लेन-देन में यह उल्लेखनीय वृद्धि, विशेष रूप से व्यक्ति-से-व्यापारी (पी2एम) खंड में, माइक्रो-लेन-देन के लिए पसंदीदा विधि के रूप में इसकी स्थिति को और मजबूत करती है, जो आने वाले वर्षों में दीर्घकालिक स्थिरता और यहां तक कि बड़े लेन-देन की ओर बढ़ने का संकेत देती है."
इस साल के पहले छह महीनों में सभी यूपीआई लेनदेन का औसत टिकट आकार (एटीएस) पिछले साल के 1,603 रुपये से घटकर 1,478 रुपये रह गया, जो 8 प्रतिशत की कमी दर्शाता है. भुगतान बुनियादी ढांचे में भी वृद्धि जारी है. मैदान पर तैनात पीओएस (बिक्री बिंदु) टर्मिनलों की संख्या 8.96 मिलियन का आंकड़ा पार कर गई है.