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युवाओं के आक्रोश में 'जला' हल्द्वानी! बनभूलपुरा हिंसा में एक्टिव दिखे 18 से 30 साल के युवा

Youth in Haldwani violence हल्द्वानी हिंसा की जांच की जा रही है. इसके कुछ बातें निकलकर सामने आई हैं. जांच में पता चला है कि हल्द्वानी हिंसा में 18 साल से 30 साल युवाओं भी भागीदारी ज्यादा रही. हल्द्वानी हिंसा में 18 साल से 30 साल के युवा उपद्रव करते देखे गए.

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युवाओं के आक्रोश में 'जला' हल्द्वानी

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 22, 2024, 10:24 AM IST

Updated : Feb 22, 2024, 3:21 PM IST

युवाओं के आक्रोश में 'जला' हल्द्वानी!

हल्द्वानी: बनभूलपुरा में हुई हिंसा पूरे देश में चर्चा का विषय रहा है. हल्द्वानी हिंसा नेशनल मीडिया पर एक सप्ताह तक ट्रेंड करता रहा. हल्द्वानी हिंसा का मुख्य वजह मलिक के बगीचे में सरकारी भूमि पर बने अवैध मदरसा और नमाज स्थल हटाने के दौरान विवाद खड़ा हुआ. विवाद ने इतना रूप लिया कि पथराव आगजनी और फायरिंग में पांच लोगों की मौत हुई. 300 से अधिक पुलिस के जवान प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ पत्रकार घायल हुए. इस हिंसा में 8 करोड़ से अधिक की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. हिंसा की मजिस्ट्रेट जांच शुरू हो गई है. जांच में एक बात खुलकर सामने आई है कि इस हिंसा में सबसे अधिक भागीदारी युवाओं की रही. हल्द्वानीहिंसा में 18 साल से 30 साल के युवा उपद्रव करते देखे गए.

पुलिस के गिरफ्तारी में 70% से अधिक युवा ही पकड़ में सामने आए हैं. वीडियो और सीसीटीवी में अधिकतर युवा वर्ग ही इस हिंसा को अंजाम देते दिखाई भी दिए हैं. हिंसा के मामले में पकड़े गए कई लोग ऐसे हैं जो पढ़े-लिखे और ग्रेजुएट हैं. वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने राजनीतिक विशेषज्ञ गणेश पाठक ने बताया हल्द्वानी हिंसा में देखने को आया है कि प्रदर्शन में अधिकतर युवा शामिल है. जिन्होंने इसे अंजाम दिया गै. यह हिंसा पूरी तरह से निंदनीय है.पत्थरबाजी और आगजनी में भी अधिकतर युवा ही देखे गए हैं. इसमें बहुत से ऐसे युवा हैं जो पढ़े लिखे हैं. हिंसा के पीछे के कारण पुलिस जांच कर रही है.

गणेश पाठक के मुताबिक वर्ष 2014 भाजपा सरकार बनने के बाद से देखा गया है कि हिंदुत्व का परचम ज्यादा लहराया है. जिसकी प्रतिक्रिया मुस्लिम समुदायों के युवाओं में देखने को मिल रही है. जानकारों की मानें तो हिंदुत्व में यूथ सबसे आगे आया है. जिसमें बजरंग दल हो या अन्य संगठन हैं, जिसमें युवा पीढ़ी अधिक भागीदारी निभा रही है. इसके अलावा सबसे बड़ा बिंदु रोजगार है. युवाओं के पास रोजगार नहीं है. युवाओं में सत्ता के प्रति आक्रोश है. ऐसे में इस तरह की घटनाओं में युवाओं में आक्रोश देखा जाता है. देखने को मिला है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन हो या अन्य आंदोलन हो सभी में युवा अपनी भागीदारी निभा रहा है. इससे साफ जाहिर होता है कि युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. जांच में सामने आएगा कि आक्रोश का कारण क्या रहा है. एसएसपी नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा ने बताया इस हिंसा में 20 साल से लेकर 40 साल तक के युवा अधिक देखे गए हैं. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. डेटा निकाला जा रहा है.

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Last Updated : Feb 22, 2024, 3:21 PM IST

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