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100 साल के इन बुजुर्ग पेड़ों ने देखा है अंग्रेजों को कोड़े बरसाते, चंंद्रशेखर आजाद की शहादत से लेकर मिशन चंद्रयान के गवाह; अब मिलेगा ये 'सम्मान' - 100 years old trees in up

यूपी के 100 साल से ज्यादा पुराने पेड़ों के दिन अब बहुरने वाले हैं. आखिर इसकी वजह क्या है चलिए जानते हैं.

Yogi government will preserve trees more than 100 years old in Uttar Pradesh
100 साल पुराने पेड़ो (photo credit: etv bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 10:30 AM IST

Updated : Jul 9, 2024, 11:06 AM IST

लखनऊः यूपी में 100 साल से भी ज्यादा बूढ़े हो चुके 948 दरख्तों को भी 'सम्मान' (संरक्षण) मिलने जा रहा है. योगी सरकार ये पहल करने जा रही है. दरअसल ये पेड़ अंग्रेजों के जुल्म वाले उस दौर के हैं जब देश गुलाम था. ये पेड़ अंग्रेजों के जुल्म से लेकर देश की आजादी देख चुके हैं. इन पेड़ों ने देश के स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की शहादत देखी है तो वहीं मिशन चंद्रयान के दौर के भी ये गवाह है. इन पेड़ों को अब सरकार संरक्षित करेगी.

100 साल पुराने पेड़ संवारेगी योगी सरकार. (photo credit: etv bharat)

दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार विरासत वृक्ष अंगीकरण योजना के तहत प्रदेश के 948 विरासत वृक्षों को संवारेगी. 100 साल से अधिक उम्र के 28 प्रजाति के वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया गया है. यह वृक्ष प्रदेश के सभी 75 जनपदों में हैं. काशी में सर्वाधिक 99, प्रयागराज में 53, हरदोई में 37, गाजीपुर में 35 और उन्नाव में विभिन्न प्रजातियों के 34 विरासत वृक्ष हैं.

100 साल पुराने पेड़ संवारेगी योगी सरकार. (photo credit: etv bharat)

सूबे की योगी सरकार विलुप्त हो रही वृक्ष प्रजातियों के संरक्षण व पौराणिक/ऐतिहासिक अवसरों, महत्वपूर्ण घटनाओं, अति विशिष्ट व्यक्तियों के स्मारकों, धार्मिक परम्पराओं व मान्यताओं से जुड़े हुए वृक्षों को संरक्षित कर जन सामान्य में इसके प्रति जागरूकता पैदा कर रही है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन की तरफ से विरासत/ हेरिटेज वृक्षों के चयन और अभिलेखीकरण के लिए दिशा-निर्देश दिया गया है. इस बार इन वृक्षों की नई पौध तैयार करने के लिए विरासत वृक्ष वाटिका भी तैयार की जाएगी.

100 साल पुराने पेड़ संवारेगी योगी सरकार. (photo credit: etv bharat)

सौ साल से अधिक उम्र की 28 प्रजातियों को घोषित किया विरासत वृक्ष
उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने गैर वन क्षेत्र (सामुदायिक भूमि) पर अवस्थित सौ साल से अधिक आयु की 28 प्रजातियों को विरासत वृक्ष घोषित किया है. इनमें अरु, अर्जुन, आम, इमली, कैम, करील. कुसुम, खिरनी, शमी, गम्हार, गूलर, छितवन, चिलबिल, जामुन, नीम, एडनसोनिया, पाकड़, पीपल, पीलू, बरगद, महुआ, महोगनी, मैसूर बरगद, शीशम, साल, सेमल, हल्दू व तुमाल शामिल हैं. बरगद प्रजाति के 363 व पीपल प्रजाति के 422 वृक्ष हैं.



आध्यात्मिक व स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े वृक्ष भी शामिल
विरासत वृक्ष में आध्यात्मिक व स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े वृक्ष शामिल किए गए हैं. प्रदेश के सभी 75 जिलों में विरासत वृक्षों को खोजकर इन्हें संरक्षित किया जा रहा है. सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, काली मंदिर के समीप व गौशाला के अंदर बरगद व पाकड़ वृक्षों सहित पूरे जनपद में 19 वृक्ष विरासत वृक्ष घोषित किए गए हैं. लखनऊ व वाराणसी के दशहरी आम व लंगड़ा आम के मातृ वृक्ष, फतेहपुर का बाचन इमली, मथुरा के इमलीतला मन्दिर परिसर का इमली वृक्ष, प्रतापगढ़ का करील वृक्ष, बाराबंकी में स्थित एडनसोनिया वृक्ष, हापुड़ व संत कबीर नगर में अवस्थित पाकड़ वृक्ष, सारनाथ का बोधि वृक्ष, बाबा झारखंड के नाम से प्रसिद्ध अम्बेडकर नगर का पीपल वृक्ष और आर्डिनेंस क्लॉथ फैक्ट्री शाहजहांपुर में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा पीपल वृक्ष शामिल हैं.



11 जिलों में बनाई जाएगी विरासत वृक्ष वाटिका
वृक्षारोपण जन अभियान-2024 के तहत प्रदेशवासियों को चिह्नित विरासत वृक्षों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से 11 जनपदों में विरासत वृक्ष वाटिका तैयार की जाएगी. यह वाटिका गोरखपुर, अयोध्या, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, मेरठ, बरेली, मथुरा, सीतापुर, चित्रकूट व मीरजापुर में तैयार होगी. वाटिका में विरासत वृक्ष से तैयार पौधा, टहनी और डाल को अनिवार्य रूप से लगाया जाएगा. शेष पौधे स्थानीय महत्व की प्रजातियों के होंगे. इसके लिए लगभग आठ हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी. प्रभागों की तरफ से चिह्नित 11 जनपदों में पर्याप्त संख्या में विरासत वृक्ष से पौधे तैयार करने के लिए प्रत्येक प्रभाग में कम से कम 10 वृक्ष उपलब्ध कराए जाएंगे.

विशिष्ट विरासत वृक्ष भी चिन्हित
विशिष्ट विरासत वृक्षों में चीनी यात्री हवेनसांग उल्लिखित झूंसी (प्रयागराज ) का एडनसोनिया वृक्ष, मथुरा के टेर कदंब मंदिर परिसर व निधि वन में अवस्थित पीलू वृक्ष, प्रयागराज के किले में अक्षयवट, उन्नाव में वाल्मीकि आश्रम, लव कुश जन्म स्थली व जानकी कुण्ड नाम से प्रसिद्ध स्थल पर अवस्थित बरगद वृक्ष और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए एनबीआरआई लखनऊ व महामाया देवी मन्दिर परिसर गाजियाबाद का बरगद वृक्ष शमिल हैं.




काशी में हैं सबसे ज्यादा विरासत वाले वृक्ष
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कुल 948 विरासत वृक्ष हैं. इनमें सबसे ज्यादा विरासत वृक्ष वाराणसी में हैं. यहां कुल 99 विरासत वृक्ष हैं. प्रयागराज में कुल 53 विरासत वृक्ष हैं. हरदोई में 37, गाजीपुर में 35, उन्नाव में 34, रायबरेली में 32 और झांसी में 30 हैं. फिरोजाबाद में 29, लखीमपुर खीरी में 27, बरेली व बहराइच में 26-26, लखनऊ में 25 व जौनपुर में 24 विरासत वृक्ष हैं. इनमें पीपल प्रजाति के 422, बरगद के 363 व पाकड़ के 57 विरासत वृक्ष हैं.

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Last Updated : Jul 9, 2024, 11:06 AM IST

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