लखनऊ: लोकसभा चुनाव में अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिल पाने के बाद अब योगी सरकार और संगठन में बेहतर समन्वय बनाने की कवायद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक चल रही है. सरकार और संगठन जनप्रतिनिधियों की शिकायतों और जनता से जुड़ी समस्याओं के निस्तारण को लेकर गंभीर हो चुकी है. जिसके लिए अब नई कार्य योजना बनाकर भारतीय जनता पार्टी जनप्रतिनिधियों के सहारे आगामी चुनाव की तैयारी तेज कर दी है. अब तय किया गया है कि जनप्रनिधियों की तरफ से आने वाले शिकायती पत्रों और उनके क्षेत्र के लोगों की मांग पत्रों व अन्य सुझाव पत्रों को सरकार तक भेजा जाएगा. साथ ही संगठन के माध्यम से शिकायतों का निस्तारण और सारा कुछ हिसाब किताब रखा जाएगा. जिससे कहां किस क्षेत्र में कौन सी बड़ी समस्या का निस्तारण नहीं हो पाया है. क्षेत्र के स्तर पर मॉनिटरिंग कराई जाएगी. सरकार के स्तर पर भी की एक मॉनिटरिंग सेल बनाई जा रही है. जिससे जहां जो कमियां रह जाती हैं, उन्हें दूर कराने में सरकार तेजी लाएगी.
राष्ट्रीय महामंत्री की समीक्षा बैठक में लिया गया निर्णय
बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष पिछले दिनों दौरे पर राजधानी लखनऊ आए थे. इस दौरान बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्षों व पदाधिकारी के साथ कई स्तर पर समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की. बातचीत और समीक्षा के दौरान यह फीडबैक मिला कि तमाम स्तर पर जनप्रतिनिधियों की समस्याओं को लेकर अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं. उनका निस्तारण समयबद्ध तरीके से नहीं हो पाता है. कुछ जनप्रतिनिधियों ने यहां तक कहा कि उनके शिकायती पत्रों या समस्याओं से संबंधित जो शासन को पत्र भेजे जाते हैं, उन पर अमल नहीं होता. ऐसे पत्रों को डस्टबिन में डाल दिया जाता है. इससे जब जनता की समस्याओं का निस्तारण नहीं होगा तो स्वाभाविक रूप से लोग बीजेपी से दूर होंगे.
भाजपा संगठन शिकायतों की करेगी निगरानी
ऐसे तमाम स्तर पर मिले फीडबैक के आधार पर भाजपा नेतृत्व ने यह तय किया है कि जनप्रतिनिधियों की शिकायती पत्रों का निस्तारण सरकार और संगठन के स्तर पर गंभीरता से कराया जाएगा. इसके लिए एक नई कार्य योजना भी तैयार की गई है और इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं. कहा गया है कि पार्टी के जितने भी जनप्रतिनिधि हैं, वह शासन या मुख्यमंत्री के स्तर पर जो भी पत्र भेजे जाएंगे, उनकी मॉनिटरिंग शासन स्तर पर तो कराई ही जाएगी. साथ ही साथ संगठन के क्षेत्रीय स्तर पर भी किस पत्र पर क्या कार्यवाही हो रही है इसकी भी पड़ताल होती रहेगी. रेंडम चेकिंग के आधार पर जनप्रतिनिधियों की शिकायती पत्रों के निस्तारण की प्रगति परखी जाएगी.