जयपुर:वर्ष 2024 में पेरिस में आयोजित हुए पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने इतिहास रचा और रिकॉर्ड मेडल अपने नाम किया. इसी क्रम में राजस्थान के खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया और मेडल अपने नाम किए. पैरालंपिक खेलों में राजस्थान की अवनी लेखरा, सुंदर गुर्जर और मोना अग्रवाल ने मेडल जीतकर इतिहास रच डाला. हालांकि, ओलंपिक खेलों में निराशा हाथ लगी है, लेकिन इसकी भरपाई पैरालंपिक खेलों ने की. खिलाड़ियों को मेडल जीतने पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे बातचीत की और खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया.
वहीं, जब राजस्थान के खिलाड़ी मेडल जीतकर लौटे तो उनका शानदार स्वागत किया गया. ओलंपियन गोपाल सैनी का कहना है कि राजस्थान में खेलों का इतिहास काफी अच्छा रहा है. अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राजस्थान के खिलाड़ी भाग लेते रहे हैं और कई खिलाड़ियों ने मेडल भी अपने नाम किया है. कोई भी खिलाड़ी जब अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है तो उसके लिए यह गर्व की बात होती है और खेलों के लिहाज से यह साल राजस्थान के लिए अच्छा रहा है.
गोपाल सैनी, ओलंपियन (ETV Bharat Jaipur) रामचरितमानस की चौपाई ने दिया हौसला : पेरिस पैरालंपिक खेलों में जयपुर की अवनी लेखरा ने गोल्ड जीतकर इतिहास रचा. इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भी अवनी ने यह कारनामा किया था, लेकिन इस बार अवनी का यह मेडल काफी खास है, क्योंकि एक रामचरितमानस की चौपाई ने उन्हें हौसला दिया और निशान सीधा गोल्ड मेडल पर लगा. गोल्ड मेडल जीतने के बाद अवनी के घर पर खुशी का माहौल था. परिजन ढोल-नगाड़ों के साथ इस जीत को सेलिब्रेट कर रहे थे. इस दौरान अवनी के पिता प्रवीण लेखरा ने बताया था कि जब अवनी पैरा ओलंपिक खेलों के लिए रवाना हो रही थी तब उन्होंने उसे रामचरितमानस की एक चौपाई याद करवाई. "कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥ राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा" वहीं, मेडल जीतकर अवनी जब जयपुर लौटीं तो कहा कि पिछले कुछ सालों से शूटिंग को लेकर काफी क्रेज बढ़ा है.
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पेरिस पैरालंपिक खेलों में देश से 10 शूटर हिस्सा लेने पहुंचे थे, जिनमें से पांच शूटर पहली बार पैरालंपिक खेलों का हिस्सा थे. ऐसे में लगातार खेलों को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ता जा रहा है और अब पैरा स्पोर्ट्स भी अपना एक अलग मुकाम बना रहा है. अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक खेलों में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
अपनी कमजोरी को बनाई ताकत : राजस्थान के करौली जिले के सुन्दर गुर्जर ने पेरिस में आयोजित पैरालिंपिक खेलों में एक बार फिर मेडल जीता. एक हादसे के दौरान सुंदर ने अपने हाथ की कलाई गंवा दी. बताया जाता है कि लोहे की शीट उतारते वक्त यह हादसा हुआ और लंबे समय तक वे इस अवसाद में भी रहे. उन्हें लगा कि जैसे उनकी दुनिया ही खत्म हो गई है, लेकिन उनके परिजनों मित्र और कोच ने उनका हौसला बढ़ाया. जिसके बाद सुंदर ने सफलता की नजीर पेश की और शारीरिक असमक्षता को ताकत बनाया. राजस्थान के सुंदर गुर्जर ने पेरिस में कांस्य पदक जीता है. इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भी सुंदर में मेडल जीतकर इतिहास रचा था.
पहली बार में जीता मेडल :वहीं, जयपुर की रहने वाली मोना अग्रवाल पहली बार पैरालिंपिक में हिस्सा ले रही थीं. मोना अग्रवाल जयपुर के झोटवाड़ा की रहने वाली हैं और अवनी के साथ मोना ने भी देश के लिए मेडल जीता. मोना ने शूटिंग मे ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया और इस दौरान उनके घर पर खुशी का माहौल था. कांस्य पदक विजेता मोना के पति रविंद्र चौधरी के मुताबिक उनकी पत्नी ने इस मुकाम तक पहुंचने के पहले काफी स्ट्रगल की.
उन्हें खेलों में सक्रिय रहने का जज्बा आज इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मददगार रहा है. रविंद्र ने बताया कि उनकी पत्नी ने पहले एथलेटिक्स को अपने खेल के रूप में चुना. इसके बाद पावरलिफ्टिंग और सिटिंग वॉलीबॉल को भी उन्होंने करियर ऑप्शन के रूप में देखा. आखिर में जयपुर की एक और शूटिंग चैंपियन अवनी लेखरा को उन्होंने देखा और फिर शूटिंग को अपने करियर गोल के रूप में आगे बढ़ाने का फैसला किया.