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YEAR ENDER 2024: खट्टे-मीठे अनुभव से भरा रहा पाकुड़ के लोगों के लिए यह साल, यहीं से शुरू हुई थी मंईयां सम्मान योजना - YEAR ENDER 2024

पाकुड़ से मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत हुई. आलमगीर आलम की पदवी गई, भ्रष्टाचार के आरोप में वो जेल गए .

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डिजाइन इमेज (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 12 hours ago

पाकुड़:झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे पाकुड़ जिलेवासियों के लिए वर्ष 2024 उतार-चढ़ाव वाला अनुभव रहा. इस जिले से सरकार की महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजना मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की न केवल शुरुआत हुई बल्कि करोड़ों रुपये की राशि से पुल, पुलिया, सड़क योजना का लाभ लोगों को मिला. जिले में घटी कई महत्वपूर्ण घटनाओं ने आदिवासियों को आंदोलन करने का अवसर दिया तो कई बड़े अपराधिक मामलों के उद्भेदन में पुलिस प्रशासन को कामयाबी भी मिली. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक उथल-पुथल भी देखने को मिला.

संवाददाता टिंकू दत्ता की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

आलमगीर आलम की गिरफ्तारी:इन सब के बीच चर्चित रहा जिले के विधायक और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का जेल जाना. झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दिनेश विलियम मरांडी को अपने पारंपरिक पार्टी झामुमो से हाथ भी धोना पड़ा. पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम भ्रष्टाचार के आरोप में फिलहाल जेल में हैं. ईडी द्वारा 6 मई 2024 को आलमगीर आलम, उनके पीए और आईएस अधिकारी संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर छापेमारी की थी, जिसमें करीब 35 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे. इस मामले में पीए और आईएस अधिकारी के नौकर की गिरफ्तारी हुई थी. इसके बाद ईडी द्वारा आलमगीर से पूछताछ की गई और 15 मई को उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद आलमगीर आलम को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.

गायबथान का मामला:पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के गायबथान में अपने ही जमीन को बचाने के लिए विरोध करने के दौरान एक आदिवासी परिवार के साथ हुई मारपीट की घटना ने न केवल पाकुड़ बल्कि पूरे झारखंड में विपक्षी पार्टी को एक राजनीतिक मुद्दा दे दिया. गायबथान की घटना के विरोध में आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे कुमार कालीदास मेमोरियल कॉलेज के छात्रों के साथ पुलिस द्वारा की गयी पिटाई का मामला राजनीतिक मुद्दा ले लिया. इस मामले को लेकर झारखंड समेत अन्य राज्यों के भी भाजपा नेताओं द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठ के साथ-साथ घटती आबादी और जमीन लूट का मुद्दा उछालकर राजनीतिक माहौल को गर्म करने की भरपूर कोशिश की गयी. हालांकि इसका लाभ पाकुड़ और संथाल परगना में भाजपा को नहीं मिल पाया.

ग्राफिक्स (ETV BHARAT)

गोपीनाथपुर का मामला:कुछ महीने पहले गोपीनाथपुर में पश्चिम बंगाल से आए कई लोगों के द्वारा ग्रामीणों के साथ मारपीट, तोड़फोड़ और बमबाजी की गई थी. गोपीनाथपुर के अलावा तारानगर, इलामी और नवादा गांव में दो समुदायों के बीच विवाद भी उत्पन्न हुआ था, जिसे खत्म करने के लिए प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. पुलिस अधीक्षक, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी की सूझबूझ का ही नतीजा रहा कि कम समय में इस मसले का हल कर लिया गया. अपराध पर नियंत्रण एवं अपराधिक घटनाओं के उद्भेदन में भी पुलिस प्रशासन को काफी सफलता मिली. लूटपाट, छिनतई, वाहन चोरी आदि घटनाओं में शामिल अपराधियों के साथ-साथ गिरोह का खुलासा करने में पुलिस को कामयाबी मिली. कुछ में तो लूटे गए सामानों की बरामदगी भी पुलिस द्वारा कर ली गई.

सखी मंडल से महिलाओं को मिला लाभ:स्थानीय विधायक और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, विधायक स्टीफन मरांडी और सांसद विजय हांसदा की पहल पर पाकुड़ जिले को 250 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि महत्वपूर्ण पुल, पुलिया एवं सड़को के निर्माण के लिए सरकार के स्तर से स्वीकृति दी गयी. महिला सशक्तिकरण के मामले में भी जिला प्रशासन को काफी सफलता मिली. प्रशासन की पहल से जिले की हजारों महिलाएं सखी मंडलों से जुड़कर स्वरोजगार करने में सफल हुई हैं.

मंईयां सम्मान योजना: हेमंत सोरेन ने पाकुड़ जिले के गायबथान गांव से मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत की थी. गायबथान वही गांव है, जहां कुछ महीने पहले जमीन विवाद को लेकर आदिवासी परिवार के साथ मारपीट हुई थी.

विधानसभा चुनाव 2024: पाकुड़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के निशात आलम और आजसू के अजहर इस्लाम के बीच मुकाबला था. आलमगीर आलम के जेल जाने का मुद्दा उनकी पत्नी निशात आलम के लिए चुनाव में फायदेमंद साबित हुआ. नवनिर्वाचित विधायक निशात आलम ने अजहर इस्लाम को 86 हजार से अधिक वोटों से हराया.

जिले में कमोवेश विकास हुए लेकिन जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट की राशि से धरातल पर उतारी गयी योजनाओं में गड़बड़ी का मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा. इसी वर्ष यहां के लोगों को डिग्री कॉलेज मिला. महेशपुर और लिट्टीपाड़ा प्रखंड में डिग्री कॉलेज का निर्माण कार्य सरकार के निर्देश पर शुरू किया गया. हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र अभी भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है. डॉक्टरों की कमी के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोगों के लिए जलापूर्ति योजना का अब तक चालू न होना भी लोगों के लिए एक मुद्दा है.

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