बीकानेर.नौ दिन के इस महापर्व में देवी की आराधना संन्यासी तांत्रिक और गृहस्थ अपने-अपने विधान से मां अम्बे को प्रसन्न करते हैं. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि सनातन धर्म में देवी की उपासना का ये महापर्व है और देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व है. वे कहते हैं कि नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व है. देवी की आराधना और मंत्र सिद्धि के लिए 40 दिन की पूजा का महत्व है. लगातार 40 दिन की पूजा के दौरान किसी भी प्रकार का विघ्न आना संभव है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे ऋषि-मुनियों ने साल के इन 40 दिनों को अलग-अलग रूप से व्यक्त करते हुए अधिकतम 10 दिन एक बार के अनुसार चार नवरात्रों में विभक्त कर दिया.
क्या है नवरात्रि का अर्थ ? : किराडू कहते हैं कि नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रातें . इन नौ दिनों के दौरान शक्ति यानि देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ये नौ दिन श्रीदेवी भागवत अनुसार उपवास, तपस्या के 9 दिन है. नवरात्रि संसार की आदि-शक्ति दुर्गा का पावन पर्व समूह है.
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क्या है नवरात्रि का महत्व? :किराडू कहते हैं कि भारतीय संस्कृति में आराधना और साधना करने के लिए 'नवरात्र पर्व सर्वश्रेष्ठ बतलाया गया है. नवरात्रि का पर्व उत्सव मात्र नहीं है यह समस्त मानव जाति के लिए साधना द्वारा कुछ विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त करने का सौभाग्यदायक अवसर है.
वर्षभर में कितने नवरात्र आते है? : किराडू कहते हैं कि चैत्र शुक्ल पक्ष से भारतीय नववर्ष का प्रारंभ होता है. तब से लेकर 12 महीनों में कुल चार नवरात्र आते हैं.
- चैत्र शुक्ल पक्ष
- आषाढ मास (गुप्त नवरात्र)
- आश्चिन नवरात्र
- माघ मास (गुप्त नवरात्र)
आश्विन मास के नवरात्र क्यों महत्वपूर्ण है? : किराडू कहते हैं कि सम्पूर्ण वर्ष में चार नवरात्र में चैत्र और आश्विन नवरात्र का खास महत्व देवी भागवत और देवी पुराण में मिलता है. एक वर्ष में छः ऋतुएँ मानी जाती है परन्तु शीत और ग्रीष्म दो ऋतु ही प्रमुख है. गर्मी का आरंभ चैत्र मास से शीत का आरंभ आश्विन मास से होता है. आयुर्वेद के अनुसार ऋतु परिवर्तन के हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर इस सन्धि काल का विशेष प्रभाव पड़ता है. शास्त्रकारों ने इस संधिकाल के मास यानि महीनों में शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखने के लिए नौ दिनों तक विशेष वृत्त नियम का पालन करने का विधान किया है. इसी विशिष्टता के कारण चैत्र एवं आश्विन मास के नवरात्र पर्व प्रमुख होते हैं. आषाढ़ और माघ के नवरात्र का समय तान्त्रिक साधना के लिए विशेष साधना का माना जाता है.
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नवरात्रि के व्रत कितने दिन करने का विधान है? : नवरात्रि व्रत अनुष्ठान नौ दिन, सात दिन और पांच दिन दिन तक और एक दिन तक भी कर सकते हैं. व्रत के दौन व्रती को फलाहारी अथवा एकाहारी होना चाहिए.
नवरात्रि के समय से क्या करना चाहिए? : नौ दिनों तक व्रत उपवास के साथ दुर्गा सप्तशी पाठ, श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र पाठ, देवीभागवत, देवीपुराण नर्वाण मंत्र जाप नवाह्मन परायण आदि करने का विधान हैं.