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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आज, देश में हर साल बढ़ रहे आत्महत्या के मामले, लेकिन राजस्थान में कम होते आंकड़ों से राहत - Suicide cases in Rajasthan - SUICIDE CASES IN RAJASTHAN

10 सितंबर को विश्व भर में आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोगों को आत्महत्या न करने के प्रति जागरूक किया जाता है, लेकिन सामाजिक संगठनों और सरकार के प्रयासों के बावजूद देश में आत्महत्या के आंकड़ों में कमी नहीं आ रही है. इस बीच NCRB की रिपोर्ट के आंकड़े राजस्थान के लिए राहत भरे हैं.

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 10, 2024, 7:40 AM IST

देश में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले पर एक्सपर्ट्स की राय (वीडियो ईटीवी भारत,जयपुर)

जयपुर : विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगुवाई में हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 2003 में की गई थी. वहीं, इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में आत्महत्या न करने के प्रति जागरूकता पैदा करना है, लेकिन लाख प्रयासों के बाद भी आत्महत्या के आंकड़ों में कमी नहीं आ रही है. खास कर युवा अवस्था में लगातार हो रही खुदकुशी की घटना चिंता जनक हैं. NCRB की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं देश में सुसाइड के आंकड़ों में लगातर वृद्धि हो रही है, जबकि राजस्थान में पिछले तीन सालों में आत्महत्या के आंकड़ों में कमी आई है.

क्या कहते हैं NCRB आंकड़े :NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट को देखें तो पिछले पांच सालों में देश भर में आत्महत्या के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है. वर्ष 2018 में आत्महत्या के 1 लाख 34 हजार 516 मामले दर्ज किए गए, जबकि वर्ष 2019 में ये सांख्य बढ़ कर 1 लाख 39 हजार 123 पर पहुंच गई. इसके बाद 2020 में ये आंकड़ा 1 लाख 53 हजार 52 पहुंच गया. इसके बाद वर्ष 2021 में आंकड़ा 1 लाख 64 हजार 33 पर पहुंचा तो वर्ष 2022 में 1 लाख 70 हजार 924 तक पहुंच गया. लगातार बढ़ते इन आंकड़ों के बीच सामाजिक संगठन भी चिंतित हैं. सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल कहते हैं कि NCRB के आंकड़ों को देखते हैं तो देश भर में हर साल आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. हालांकि राजस्थान के लिए अच्छी बात है कि यहां पर हर सुसाइड के आंकड़े कम हुए हैं. वर्ष 2020 में आत्महत्या के आंकड़े 5 हजार 658 थे, इसके बाद वर्ष 2021 में ये आंकड़ा कम होकर 5 हजार 593 पर रह गया, जबकि 2022 में ये आंकड़ा और कम होकर 5 हजार 343 पर पहुंच गया.

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18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियां कर रहीं सुसाइड :NCRB के आंकड़ों में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी हैं. रिपोर्ट के अुसार 60 साल से अधिक उम्र के पुरुष और महिलाएं भी आत्महत्या कर रहीं हैं. इसमें 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 11 हजार 712 पुरुष तो 3 हजार 627 महिलाओं ने सुसाइड किया है. इसी तरह से सबसे ज्यादा आत्महत्या के आंकड़ों को देखें तो 2022 में 30 से 45 वर्ष की आयु वाले पुरुष और महिला दोनों ने सुसाइड किया है. सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल कहते हैं कि वर्ष 2022 में 42 हजार 29 पुरुष ने तो 12 हजार 317 महिलाओं ने सुसाइड किया है. इसके पीछे का कारण गृह क्लेश और रोजगार मानी जा सकती है. इतना ही नहीं 18 वर्ष से कम उम्र के सुसाइड के आंकड़ों में लड़कियों की संख्या ज्यादा है. साल 2022 में 18 साल से कम उम्र के सुसाइड के आंकड़ों के अनुसार 5 हजार 588 लड़कियों ने तो 4 हजार 616 लड़कों ने सुसाइड किया. गोयल कहते हैं इसके पीछे बड़ी वजह लड़कियों की जल्द शादी और एजुकेशन ड्रॉपआउट है.

बच्चों के व्यवहार को पहचानें :मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम कहतीं हैं कि भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में सुसाइड के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. खास तौर से युवा पीढ़ी के अंदर नकारात्मकता इतनी बढ़ गई है कि वो सुसाइड जैसे कदम उठाते हैं. इसके साथ ही माता-पिता की ओर से प्रेशर भी एक बड़ा कारण है सुसाइड का. परिवार का करियर को लेकर बच्चों पर दबाव होता है, उससे भी बच्चे जल्द ही निराश हो जाते हैं. डॉ. अनीता गौतम कहतीं हैं कि इसके लिए पेरेंट्स को सजग होना होगा. सामाजिक संगठन या साकार तो अपने स्तर पर काम कर रही है, लेकिन माता पिता को भी अपने बच्चे के व्यवहार को नोटिस करना चाहिए. खास तौर पर जब बच्चा जब कम बोलने लग जाए, उदास रहने लग जाए या वह अकेला रहता है, तो उस पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत होती है. अगर बच्चा कम सो रहा है, कम खाना खा रहा है तो भी बच्चों पर ध्यान देना होगा. रिसर्च के अनुसार 80 मामलों में बच्चे मरना नहीं चाहते थे, लेकिन जब उन्हें किसी का स्पोर्ट नहीं मिला तो वो इस तरह के कदम उठाते हैं.

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