लखनऊ : बीते वर्षों में उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जाहिर की है. विशेषज्ञों के मुताबिक रक्तचाप की समस्या से ग्रसित लोग असमय हार्ट और ब्रेन अटैक का शिकार हो रहे हैं. दरअसल रक्तचाप धमनियों के अंदर रक्त के दबाव या बल का माप है. जब दिल धड़कता है तो यह रक्त को उन धमनियों में पंप करता है जो आपके पूरे शरीर में रक्त ले जाती हैं. ऐसा 24 घंटे, एक मिनट में 60 से 100 बार होता है. धमनियां पूरे शरीर को ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाती हैं.
कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. भुवन चंद तिवारी ने बताया कि भारत में उच्च रक्तचाप से पीड़ित केवल 12 फीसदी लोगों का रक्तचाप नियंत्रण में है. अनियंत्रित रक्तचाप हृदय संबंधी बीमारियों (CVD- कार्डियो वैस्कुलर डिजीज और सेरेब्रो वैस्कुलर एक्सीडेंट्स) जैसे दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए मुख्य जोखिम कारकों में से एक है और यह भारत में कुल मौतों के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार है.
भारत में शुरू की गई है मुहिम :प्रोफेसर डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि भारत ने 2025 तक उच्च रक्तचाप (बढ़ा हुआ रक्तचाप) के प्रसार में 25% सापेक्ष कमी लाने का लक्ष्य रखा है. इसे प्राप्त करने के लिए भारत सरकार ने भारत में उच्च रक्तचाप से पीड़ित 22 करोड़ से अधिक लोगों के लिए उपचार सेवाओं तक पहुंच को बढ़ाने के लिए भारतीय उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (इंडियन हाइपरटेंशन कंट्रोल इनीशिएटिव-आईएचसीआई) की शुरुआत की है. इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राज्य सरकारें और विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारतीय शाखा शामिल हैं.
बदलती जीवनशैली बड़ी वजह :कार्डियोवैस्कुलर एवं थोरेसिक सर्जरी विभागाध्यक्ष एवं हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. एपी जैन ने बताया कि विश्वव्यापी स्तर पर उच्च रक्तचाप दुनियाभर में 3 में से एक वयस्क को प्रभावित करता है. यह आम, घातक स्थिति स्ट्रोक, दिल का दौरा, हार्ट फैलियर, गुर्दों की क्षति और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है.