मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर :छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले का सोनहत विकासखंड में प्रदेश की पहली विधानसभा भरतपुर सोनहत आता है.ये विधानसभा सिर्फ अपने क्षेत्र नंबर में ही पहले स्थान में है.बाकी यहां की सुविधाएं और व्यवस्थाएं की बात करें तो शायद ही किसी अंक तक पहुंचा जा सकता है.जहां भारत के लोग 5G नेटवर्क से लैस हैंडसेट चला रहे हैं,वहीं सोनहत विकासखंड के एक दर्जन से ज्यादा गांवों में नेट की स्पीड क्या होती है,ये नहीं पता.इन गांवों के आसपास ऊंचे-ऊंचे लोहे के टावर सीना ताने खड़े हैं.लेकिन जिस काम के लिए टावर लगे हैं,शायद वो काम भूलकर बाकी सारे काम हो रहे हैं.
मोबाइल टावर से नहीं निकलता सिग्नल :सोनहत विकासखंड का ऐसा ही एक गांव सिंघोर है. जहां मोबाइल टावर का ढांचा कई वर्षों से खड़ा है.लेकिन ना ही इसमें फ्रीक्वेंसी जेनरेट करने के लिए मशीनें लगी हैं और ना ही इसे किसी ने चालू करने की जहमत उठाई है.हालात ये है कि गांववालों के पास महंगे हैंडसेट तो हैं,लेकिन टावर और नेटवर्क नहीं होने से वो काम के नहीं. फिर भी यहां के ग्रामीणों ने खुद का दिमाग लगाकर कुछ ऐसा जुगाड़ किया है,जिससे इंटरनेट तो नहीं फिर भी दूसरे गांव या शहर में बात करने में दिक्कत नहीं होती है. ईटीवी भारत को जब इस जुगाड़ के बारे में पता चला तो वो मौके पर पहुंची और इस अनोखे दृश्य को कैमरे में कैद किया.
मशीन तंत्र पर हावी हुआ जुगाड़ मंत्र :ईटीवी भारत को पता चला कि सिंघोर ग्राम पंचायत में लोग खूंटे के सहारे अपने करीबियों से बात करते हैं.सुनने में अजीब जरुर लग रहा हो लेकिन ये सच है.गांव के कई हिस्सों में लकड़ी के खूंटे गाड़े गए हैं. इन खूंटों की खास बात ये है कि जब तक मोबाइल फोन इनके ऊपर रहता है,तब तक आप मोबाइल पर बात कर सकते हैं.जैसे ही खूंटे से मोबाइल फोन हटाया,तो समझिए कनेक्शन कट हो गया. हमारी टीम जब गांव के खैरवारी पारा पहुंची तो देखा कि एक ग्रामीण खूंटे पर मोबाइल रखकर बात कर रहा था.ईटीवी भारत ने जब लकड़ी के बने टॉवर के स्टैंड पर जब अपना मोबाइल रखा तो मोबाइल में एक नेटवर्क आने लगा और कॉल होने लगी. लेकिन नेट नहीं चल रहा था.इसके बाद हम गांव के दूसरे हिस्से में पहुंचे.यहां पर खूंटे पर एक व्यक्ति मोबाइल रखकर बात करता हुआ मिला.