कोरिया:वन मंडल कोरिया से लकड़ी तस्करी का मामला सामने आया है. यहां चिरमिरी वन परिक्षेत्र के सिंघत गांव के बैगा पारा बस्ती में राजस्व की भूमि पर बड़े पेड़ का जंगल है, जिसमें कई साल पुराने सरई के पेड़ हैं. चार से पांच ग्रामीणों के घर भी यहां हैं जो शासकीय भूमि पर कब्जा कर खेती-बाड़ी कर अपनी जीविका चलाते हैं. इनके पास कोई पट्टे की भूमि नहीं है.
ऐसे गांव वालों को किया गया भ्रमित: इन्हीं सब चीजों का फायदा चिरमिरी वन परिक्षेत्र के बीट गार्ड भरत सिंह मरावी ने उठाया और ग्रामीणों को कूप कटाई के नाम पर भ्रमित किया और बोला कि पेड़ को खेत से निकलवा दीजिए. ऐसा करने से आप लोगों को भूमि का पट्टा जल्द मिल जाएगा. भरत सिंह की बात से कुछ ग्रामीण पेड़ों को कटवाने के लिए तैयार हो गए. उनको लगा कि वन विभाग की ओर से कटाई की जा रही है, लेकिन भरत सिंह मरावी अवैध पेड़ों की कटाई करवा रहे थे. इन पेड़ों को काटने की जानकारी ना तो राजस्व विभाग को थी ना ही वन मंडल कोरिया को. ये लकड़ियों की तस्करी करवा रहे थे.
देर रात होती है लकड़ियों की तस्करी : जानकारी के मुताबिक इससे पहले भरत सिंह कोटाडोल रेंज में पदस्थ थे. वहां भी यह लकड़ी चोरी के आरोप में फंसे थे, इसलिए वहां से इनका ट्रांसफर चिरमिरी रेंज में किया गया था. यहां आकर वापस भरत सिंह पहले जैसा ही काम कर रहे हैं. जानकारी के बाद जब कुछ मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे तो देखा कि 5 सरई के वृक्षों को मशीनों से काटा जा रहा है. वहां पर केवल पांच खूट, एक बोंगी और कुछ टहनी देखने को मिले. बाकी लकड़ियों को ट्रक से रात को ही जेसीबी की मदद से लोड करवा के पार करवा दिया गया.ग्रामीणों की मानें तो रात 1 बजे से रात 1:30 बजे के बीच भरत सिंह मरावी खड़े होकर ट्रक में लकड़ी लोड करवा रहे थे. ग्रामीणों ने इस बात की पुष्टि की.
मुझे जब अवैध लकड़ी कटाई और तस्करी की सूचना मिली तो मैंने तत्काल अपने उच्च अधिकारी को इसकी सूचना दी है. -सूर्यदेव सिंह, प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी
बता दें कि किसी भी पेड़ की कटाई में वह भूमि राजस्व की हो या वन मंडल की, सबसे पहले वहां राजस्व विभाग और वन मंडल दोनों की सहमति बहुत जरूरी है, जिसे हम पंचनामा कहते हैं. उसके बाद गांव के सरपंच की सहमति भी जरूरी होती है. उसके बाद ही वृक्ष की कटाई की जा सकती है, लेकिन इस तरह की कोई कार्रवाई यहां पर देखने को नहीं मिली और पत्रकारों की ओर से पंचनामा राजस्व विभाग से मांगा गया, तो उसमें भी लड़कियों का कोई जिक्र नहीं था. यहां केवल एक बोंगी और कुछ टहनियों का ही जिक्र था, जिसे वह सरपंच को सौंप चुके थे. अगर वन विभाग की जानकारी में कटाई की गई होती तो कटाई के बाद सारी लकड़ियों को डिपो में भिजवाया जाता.