जयपुर.महिला उद्यमिता दिवस हर वर्ष 19 नवंबर को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2014 में संयुक्त राष्ट्र में न्यूयॉर्क शहर से की गई थी. महिला उद्यमिता दिवस मनाने के पीछे का कारण महिलाओं को व्यवसाय में सशक्त बनाना और उनका समर्थन करना है, साथ ही उन्हें गरीबी उन्मूलन के लिए प्रोत्साहित करना है. लेकिन आज भी इतने सालों के प्रयास के बाद भी महिलाओं को वो समानता और अधिकार नही मिले है. राजस्थान की बात की जाए तो आज भी महिला उद्यमियों को उस तरह का प्रोत्साहन नही मिल रहा है जितना उनको चाहिए. सामाजिक सोच के आगे आज भी महिलाएं घर से बाहर नही निकल पा रही हैं, जो निकल रही हैं उन्हें सरकार के स्तर पर वो प्रोत्साहन नही मिल रहा है.
आबादी का 50% हिस्सा, लेकिन हिस्सेदारी मात्र 14% : फोर्टी वूमेन विंग की अध्यक्ष अलका गोड़ का कहना है कि महिला उद्यमिता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को व्यवसाय में सशक्त बनाना और उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता की ओर प्रेरित करना है. पिछले एक दशक में, महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों का वैश्विक स्तर पर विस्तार देखा गया है, जो अब अर्थव्यवस्था के छोटे व्यवसायों का 38% हिस्सा बनाते हैं. हालांकि, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में सभी उद्यमों में महिला उद्यमियों की हिस्सेदारी केवल 14% है. अलका कहती हैं कि महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कार्यस्थलों पर लैंगिक विविधता और समावेशिता को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि महिलाओं के उद्यमशीलता प्रयासों को सही समर्थन मिल सके.
महिलाओं की राय (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर) पढ़ें: Rajasthan: फोर्टी एक्सपो-2024 का आगाज, दीया कुमारी बोलीं- महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने का सराहनीय प्रयास
महिला उद्यमिता का उद्देश्य क्या है ? : डॉ. अनुपमा सोनी का कहना है कि महिला उद्यमिता दिवस मनाने का उद्देश्य महिलाओं के व्यवसायिक कौशल को निखारना और उन्हें अपने बाजार तक पहुंच बनाने के लिए प्रेरित करना है. इसके अलावा, इस दिवस के माध्यम से महिलाओं के प्रबंधकीय कौशल को बढ़ाने की कोशिश की जाती है. हालांकि, राजस्थान में सामाजिक सोच की वजह से महिला उद्यमिता के लिए समान अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, जो उनके मानसिक विकास और आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता सुदीप्ता अरोड़ा कहती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की एक उद्यमी के रूप के भूमिका अधिक होती है, लेकिन उसका लाभ उसे नही मिलता है. शहरी क्षेत्र में भी महिलाओं को वो माहौल नही मिल पा रहा है जिससे वो अपने उद्यग को बढ़ावा दे सके. हमारी संस्था स्वरूप महिलाओं को उचित मंच देने के लिए निरंतर प्रयासरत है. संगठन सकारात्मक बदलाव के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है, जो एक उज्जवल भविष्य को आकार देने में महिलाओं की भूमिका पर जोर देता है.
महिला उद्यमिता दिवस (फोटो ईटीवी भारत जयपुर) पढ़ें: फोर्टी वूमेन विंग ग्रामीण महिलाओं को देगा आत्मनिर्भर बनाने का मंच, नई कार्यकारिणी का हुआ शपथ ग्रहण - FORTI WOMEN WING
महिलाओं के व्यवसायिक सशक्तिकरण की राह में चुनौतियां :-
- वित्तीय संसाधनों की कमी - महिला उद्यमियों को वित्तपोषण और वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने में मुश्किल होती है. व्यापार जगत में मौजूद पूर्वाग्रह और रूढ़ियां उन्हें निवेश पूंजी या ऋण प्राप्त करने में कठिनाई देती हैं.
- कार्य-जीवन संतुलन - महिला उद्यमियों को घर संभालने की भी ज़िम्मेदारी निभानी होती है. लंबे समय तक काम करने के कारण, उनके पास कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने के लिए कम समय बचता है.
- लैंगिक पूर्वाग्रह और रूढ़िवादिता - लैंगिक पूर्वाग्रह और रूढ़िवादिता महिला उद्यमियों के लिए एक बड़ी चुनौती है. इससे उनके आत्मविश्वास, विश्वसनीयता, और विकास के अवसरों पर असर पड़ता है.
- सामाजिक दबाव - महिला उद्यमियों को सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है.
- जानकारी का अभाव - महिला उद्यमियों को जानकारी की कमी का सामना करना पड़ता. उन्हें उस तरह से जानकारिया पूरी तरह उपलब्ध नही कराई जाती जिनतनी उनकी आवश्यकता है.
- घरेलू ज़िम्मेदारियां - महिलाओं पर घरेलू कामों का बोझ बहुत ज़्यादा होता है.