पटना:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए ने हर मोर्चे पर काम करना शुरू कर दिया है. 2020 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए कोशाहाबादसे बड़ा झटका मिला है. लगभग पूरा सूपड़ा साफ हो गया था. हालांकि हालिया विधानसभा उपचुनाव में एनडीए को कामयाबी मिली है.
शाहाबाद में किसकी मजबूत पकड़?: 2020 विधानसभा चुनाव में 22 में से केवल दो सीट पर जीत मिली थी. जदयू का तो खाता भी नहीं खुला तो वहीं लोकसभा चुनाव में चारों लोकसभा सीट एनडीए ने गंवा दिया. शाहाबाद में जब नीतीश और लालू एक साथ थे, तब भी एनडीए की ऐसी स्थिति नहीं हुई थी.
एनडीए का मिशन शाहाबाद: अब 2025 फतह को लेकर कई कदम उठाए जा रहे हैं. कंफ्यूजन को दूर करते हुए एनडीए अपनी एकजुटता में लगी है. शाहाबाद के बड़े नेताओं को फिर से जिम्मेदारी दी गई है. नए नेताओं को भी शामिल कराया जा रहा है.
2020 और 2024 में शाहाबाद में एनडीए को मिला है झटका:2015 में जब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद एक साथ विधानसभा का चुनाव लड़े थे, तब भी एनडीए का शाहाबाद में पूरी तरह से सफाया नहीं हुआ था. 22 सीटों में से राजद, जदयू और कांग्रेस को 15 सीटों पर ही जीत मिली थी. जिसमें राजद के नौ सीट और जेडीयू की पांच सीट थी.
2019 में शानदार प्रदर्शन: नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद 2019 में एनडीए ने 40 में से 39 लोकसभा की सीटें जीतकर रिकार्ड बनाया था. शाहाबाद की सभी लोकसभा सीट एनडीए ने जीता था, लेकिन 2020 में एनडीए का शाहाबाद में सफाया हो गया. 22 विधानसभा सीटों में से केवल दो सीट NDA जीत पायी. जदयू का तो खाता तक नहीं खुला.
2020 में जनता ने एनडीए से मोड़ा मुंह: 22 में से 19 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार की जीत हुई. एक सीट बसपा जीत पायी. बसपा के टिकट पर जीतने वाले जमा खान बाद में जदयू में शामिल हो गए और अभी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बने हुए हैं. 2020 में प्रथम चरण में महागठबंधन का सुनामी था. आरा व बड़हरा की सीट छोड़ दें तो महागठबंधन का समीकरण सुनामी बनकर एनडीए प्रत्याशियों पर बरपा.
लोजपा ने कर दिया था खेला: राजद व जदयू दोनों को पिछड़े व अति पिछड़ी तबके के मतदाताओं पर भरोसा था. वहीं भाजपा को अपने परंपरागत वोट बैंक पर लेकिन लोजपा ने NDA के खेल को बिगाड़ दिया. हर जगह बागी प्रत्याशियों को खड़ा करके लड़ाई को त्रिकोणात्मक बनाया. इसका सीधा फायदा महागठबंधन को मिला.
आरजेडी ने पकड़ा लोगों का मूड: प्रत्याशियों के चयन में राजद ने लोगों का मिजाज का काफी ध्यान रखा. राजद ने शाहबाद जोन में एक मात्र रामगढ़ में राजपूत प्रत्याशी उतारा था. शेष विधानसभा में पिछड़े व अतिपिछड़ी जातियों को उतारा. हालांकि कांग्रेस ने करगहर में ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारा था, जिसकी जीत भी हुई. राजद ने डेहरी में भी मुस्लिम प्रत्याशी की जगह पिछड़ी जाति को उतारा जिसका उसे लाभ भी मिला.
शाहाबाद में बदली महागठबंधन की किस्मत: शाहाबाद जोन की 22 सीट में 19 पर महागठबंधन ने परचम लहराया. लालू के सामाजिक समीकरण और चिराग पासवान के उम्मीदवार देने के कारण एनडीए का बक्सर, रोहतास व कैमूर जिले में खाता तक नहीं खुला. भोजपुर जिले के सात विधानसभा में आरा व बड़हरा बाल-बाल बचा.
लोजपा के कारण महागठबंधन को फायदा: कैमूर में एक मात्र चैनपुर सीट पर बसपा को जीत मिली. लोजपा के प्रत्याशी को एनडीए से अलग होने से महागठबंधन के लिए सोने पर सुहागा साबित हुआ, जहां लोजपा के प्रत्याशी जोर लगाये, वहां-वहां महागठबंधन के प्रत्याशियों को भारी मतों से जीत मिली. तरारी में भाकपा माले प्रत्याशी सुदामा प्रसाद भाजपा प्रत्याशी कौशल कुमार विद्यार्थी व लोजपा से बागी बनकर निर्दलीय प्रत्याशी बने सुनील पांडेय के बीच जीत का सफर आसान बना दिया.
जदयू का खाता तक नहीं खुला:शाहाबाद जोन में जदयू ने 11 विधान सभा क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारा और सभी जगह उसकी हार हुई. डेहरी ऑन सोन सीट पर राजद के प्रत्याशी फतेह बहादुर ने भाजपा प्रत्याशी सत्यनारायण से मात्र 81 मतों से जीते. भोजपुर जिले में जदयू को अगिआंव में जदयू प्रत्याशी को भाकपा माले के मनोज मंजिल ने 48 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी.
संदेश में राजद की किरण देवी की जीत: वहीं संदेश में राजद की किरण देवी को 51 हजार से शानदार जीत हासिल हुई. दिनारा में जदयू प्रत्याशी पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह तीसरे नंबर पर रहे. लोजपा से लड़ने वाले राजेंद्र सिंह दूसरे स्थान पर रहे. महागठबंधन में शाहबाद में भाकपा माले का समर्थन काफी फायदे में रहा. माले को जहां अपनी खोई सीटें मिलीं. वहीं डुमरांव व अगिआंव में पहली बार सफलता मिली. शाहाबाद में भाकपा माले पांच सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसमें एकमात्र आरा सीट बहुत कम अंतर से हारी.