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LOKSABHA ELECTION 2024; रायबरेली से सोनिया के हटने पर क्या BJP को माइलेज? कांग्रेस के लिए अमेठी 'वजूद का सवाल'

रायबरेली से सोनिया के इनकार के बाद भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है. वहीं अमेठी में फिर से हार कांग्रेस के वजूद पर सवाल खड़ा करेगी. क्योंकि ये दोनों सीटें हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही हैं. जानिए क्या कहते हैं सियासी समीकरण.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 11:58 AM IST

Updated : Mar 12, 2024, 4:03 PM IST

लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटों को जीतने का दावा कर रही है. मगर कांग्रेस के कभी दुर्ग रहे रायबरेली को जीते बिना भाजपा के लिए यह संभव नहीं होगा. अमेठी में पिछली बार राहुल गांधी को बीजेपी हरा चुकी है. ऐसे में इस बार रायबरेली की ही चुनौती है. सोनिया गांधी लड़ने से इनकार कर चुकी हैं. इसलिए भारतीय जनता पार्टी को माकूल माहौल नजर आ रहा है. देश के लोकसभा चुनाव जब-जब हुए हैं रायबरेली और अमेठी सीट को लेकर सबसे अधिक चर्चा रही. दरअसल, पिछले चुनाव में अमेठी गंवा चुकी कांग्रेस के लिए इस बार यह सीट वजूद का सवाल बन गई है.

हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही रायबरेली सीट

नेहरू-गांधी परिवार लगातार रायबरेली की सीट पर कब्जा जमाए रहा है. देश के पहले चुनाव में इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने 1952 में यहां से जीत हासिल की थी. उनकी मृत्यु के उपरांत 1960 और 62 में गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति सांसद बने थे. 1967 में इंदिरा गांधी ने यहां से जीत हासिल की थी. 71 में भी विजयी रही थीं. मगर 1975 में इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली की संसदीय सीट पर अयोग्य घोषित कर दिया था. प्रधानमंत्री के अयोग्य घोषित होने के बाद ही देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई थी. लगभग 2 साल तक देश में इमरजेंसी लगी रही. इसके बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी की लहर थी और यहां राज नारायण को इंदिरा गांधी के खिलाफ जीत हासिल हुई. 1980 में दोबारा चुनाव हुए और एक बार फिर इंदिरा गांधी की जीत हुई. 1984 में उनकी मृत्यु के बाद अरुण नेहरू ने यह सीट जीती और फिर 1998 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के अशोक सिंह ने रायबरेली की सीट पर कब्जा किया.

1999 से लगातार गांधी परिवार का कब्जा

1999 से फिर लगातार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 2004 में सोनिया गांधी पहली बार जीती थीं और वह अब भी लगातार इस सीट से सांसद हैं. इस बार उन्होंने संसदीय चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. इसलिए प्रियंका गांधी या फिर कांग्रेस का कौन सा उम्मीदवार यहां आएगा, यह बड़ा सवाल है. भारतीय जनता पार्टी इस बात को लेकर उत्साहित है कि उसको कांग्रेस से अपेक्षाकृत कमजोर उम्मीदवार मिलेगा. रायबरेली के स्थानीय ब्राह्मण नेता मनोज पांडेय भारतीय जनता पार्टी में आ चुके हैं. जबकि वर्तमान मंत्री दिनेश सिंह भी रायबरेली के बड़े नेता माने जाते हैं. ऐसे में भाजपा यहां जीत का दावा कर रही है.

संजय- राजीव की पसंदीदा रही अमेठी सीट

अमेठी सीट पर 1967 में पहली बार चुनाव हुआ, तब कांग्रेस के विद्याधर वाजपेई ने जीत हासिल की. 1980 में पहली बार संजय गांधी ने इस सीट पर चुनाव लड़ा और वह जबरदस्त तरीके से जीते. मगर 1981 में संजय गांधी की मृत्यु हो गई और यहां उप चुनाव हुआ, जिसमें पहली बार राजीव गांधी ने चुनाव लड़ा और जबरदस्त तरीके से जीत हासिल की. 1984 के उपचुनाव में एक बार फिर राजीव गांधी को जीत मिली. 1989 और 1991 में भी राजीव गांधी जीते. इसके बाद उनकी मृत्यु हुई तो सहानुभूति लहर में सतीश शर्मा को भी यहां से जीत हासिल हुई.

स्मृति ने राहुल को हरा खत्म किया कांग्रेस का वर्चस्व

मगर 1998 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के संजय सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा दिया. 1999 में सोनिया गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा वह भी सफल रहीं. 2004 से राहुल गांधी इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी रहे और 2014 तक हुए लगातार विपक्षी उम्मीदवारों पर भारी पड़ते रहे. मगर 2019 में भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने उनको 55000 से अधिक वोटो से पराजित करके कांग्रेस का वर्चस्व अमेठी सीट पर समाप्त कर दिया है. इस बार राहुल गांधी अमेठी से लड़ेंगे या नहीं इसको लेकर अभी तक बड़े सवाल हैं. जबकि भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सांसद स्मृति ईरानी पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरी हुई हैं. जीत का दावा कर रही हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए या सेट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है.

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Last Updated : Mar 12, 2024, 4:03 PM IST

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