भरतपुर : भारत की जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य ने एक बार फिर विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी है. मुंबई के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हीरा पंजाबी की खींची एक दुर्लभ तस्वीर ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाते हुए संरक्षण और फोटोग्राफी के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है. पैराकीट और मॉनिटर लिजार्ड के संघर्षपूर्ण पल को कैमरे में कैद करती ये तस्वीर न केवल प्रकृति की खूबसूरती को उजागर करती है, बल्कि इसके संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करती है. इस एक तस्वीर ने घना को भारत समेत 11 देशों में नई पहचान दिलाई है.
तीन दिन में क्लिक हुई अद्भुत तस्वीर : हीरा पंजाबी ने बताया कि जनवरी 2024 में उन्होंने घना की इस ऐतिहासिक तस्वीर को क्लिक किया. इसमें एक पैराकीट (तोता) को मॉनिटर लिजार्ड (गोह) पर हमला करते हुए दिखाया गया है. मॉनिटर लिजार्ड जब पैराकीट के घोंसले की तरफ बढ़ता है, तब पैराकीट उसकी पूंछ पर हमला करता है. यह दृश्य करीब 45 मिनट तक चला. तस्वीर का यह पल प्रकृति के संघर्ष और सह अस्तित्व की गहराई को बयान करता है. यह तस्वीर बीबीसी वाइल्डलाइफ व भारत समेत 11 देशों के प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित हुई है. इस छवि ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी है. यह तस्वीर भारत, फ्रांस, इटली, स्पेन, बेल्जियम, रोमानिया, पुर्तगाल, कैलिफोर्निया, रूस, वाशिंगटन और लंदन में ये फोटो पब्लिश हो चुकी है.
घना से खास जुड़ाव :हीरा पंजाबी और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का साथ करीब 34-35 साल पुराना है. हर साल इस उद्यान की यात्रा करने वाले पंजाबी का कहना है कि यह जगह वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी का स्वर्ग है. हर बार यहां कुछ नया देखने और अनुभव करने को मिलता है. हीरा पंजाबी ने बताया कि उनको पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल 1999 में ताइवान में घना के ही फोटो पर मिला. ऐसे में उनको घना से बड़ा ही गहरा लगाव है.