पटना:हालिया बिहार विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन की करारी हार हुई है. जिन चार सीटों पर उपचुनाव हुए थे, उनमें तीन सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था. उपचुनाव में आरजेडी रामगढ़, इमामगंज और बेलागंज सीट पर चुनाव लड़ रहा था. रामगढ़ से आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंहके छोटे बेटे अजीत सिंह ही पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे. परंपरागत सीट होने के बावजूद अजीत न केवल चुनाव हारे बल्कि तीसरे स्थान पर रहे. बाकी तीनों सीटों पर भी महागठबंधन के प्रत्याशी की हार हुई. 23 नवंबर को चुनाव परिणाम के बाद 25 नवंबर से जगदानंद सिंह ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय आना बंद कर दिया है.
बेटे सुधाकर सिंह ने क्या कहा?:बक्सर से सांसद बनने के बाद रामगढ़ सीट छोड़ने वाले सुधाकर सिंह से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पिता जगदानंद सिंह की नाराजगी पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि उनके पिताजी क्यों नहीं पार्टी कार्यालय जा रहे हैं. उनके मन में क्या तकलीफ है या किन कारणों से पार्टी कार्यालय नहीं जा रहे हैं, यह उनके पिता ही बता सकते हैं. हालांकि उन्होंने बीजेपी को नसीहत देते हुए कहा कि हमारी चिंता छोड़कर किसानों की चिंता करे.
क्या आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह नाराज हैं? (ETV Bharat) "पिताजी क्यों नहीं पार्टी कार्यालय जा रहे हैं. उनके मन में क्या तकलीफ है या किन कारणों से पार्टी कार्यालय नहीं जा रहे हैं, यह पिताजी ही बता सकते हैं. किसी राजनीतिक दल के अंदरुनी मामलों में दखलंदाजी से अच्छा है कि बीजेपी के नेता किसानों के हित की बात करें."- सुधाकर सिंह, आरजेडी सांसद, बक्सर
आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह (ETV Bharat) वहीं,इसी बात को लेकर जब ईटीवी भारत ने जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत सिंह से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वह कई बार पार्टी कार्यालय नहीं गए थे. किन कारणों से वह पार्टी कार्यालय नहीं जा रहे हैं, वह उनके पिताजी ही बताएंगे. अजीत सिंह ने कहा कि पार्टी कार्यालय से दूरी के अनेक कारण हो सकते हैं.
"कुछ व्यक्तिगत काम भी हो सकता है. कुछ शारीरिक अस्वस्था भी हो सकती है. पिताजी राष्ट्रीय जनता दल के फाउंडर मेंबर हैं. इसीलिए पार्टी के अहित के बारे में वह नहीं सोच सकते."-अजीत सिंह, जगदानंद सिंह के छोटे बेटे
रामगढ़ उपचुनाव में प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव (ETV Bharat) बीजेपी ने आरजेडी पर साधा निशाना: जगदानंद सिंह के बहाने बीजेपी को आरजेडी पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि आरजेडी में जगदानंद सिंह को बार-बार अपमानित किया जा रहा है. अब स्थिति ऐसी आ गई है कि जगदा बाबू को अपमानित होने में मजा आ रहा है. यही हाल उनके बेटे का भी है.
"राजद के कल्चर का पूरा प्रभाव जगदानंद सिंह आत्मसात कर लिए हैं. इसीलिए मान और अपमान अब उनके लिए कोई मायने नहीं रखता. जगदा बाबू बहुत ही सीनियर लीडर हैं और वह चाहते हैं कि अपना सम्मान बचाकर आरजेडी से निकल जाएं."-विनोद शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
जगदा बाबू को लेकर आरजेडी की सफाई:जगदानंद सिंह के पार्टी कार्यालय नहीं आने को लेकर उठे विवाद पर अब पार्टी की तरफ से सफाई दी जाने लगी है. आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पार्टी कार्यालय नहीं आने के कई कारण हो सकते हैं. स्वास्थ्य संबंधी कारण हो या अन्य कारण कारण हो सकता है.
लालू यादव के साथ जगदानंद सिंह (ETV Bharat) "इससे पहले भी पार्टी कार्यालय नहीं आने को लेकर कई बार सवाल उठे थे लेकिन वह बाद में फिर से ऑफिस आने लगे थे. इस बार भी स्वास्थ्य या निजी कारणों से वह कार्यालय नहीं आ रहे हैं. इसलिए इसको लेकर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है. राष्ट्रीय जनता दल में ऑल इज वेल है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी
आरजेडी का वर्क कल्चर बदले का प्रयास:आरजेडी ने 2019 के नवंबर महीने में जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौपीं थी. 2019 से अब तक जगदानंद सिंह इस पद पर बने हुए हैं. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पार्टी कार्यालय में वर्क कल्चर बदलने का काम किया है. अपने नेताओं के लिए उन्होंने पार्टी कार्यालय में ड्रेस कोड तय किया. कार्यालय के अंदर लाइब्रेरी बनाने का काम जगदानंद सिंह की अध्यक्षता में शुरू हुआ. उन्होंने आदेश दिया कि पार्टी कार्यालय में बैठने से अच्छा है कि लाइब्रेरी में बैठकर पुस्तक पढ़ें. इस प्रयास का असर पार्टी कार्यालय में दिखने भी लगा.
आरजेडी का कार्यक्रम (ETV Bharat) जगदानंद सिंह की कार्यशैली पर सवाल: जगदानंद सिंह की पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी कार्यालय में जिस तरीके से उन्होंने बदलाव का काम शुरू किया, उसको लेकर वह कई कार्यकर्ताओं के निशाने पर भी रहे. पार्टी कार्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं के लिए अनेक गाइडलाइन जारी किए. तेजस्वी यादव अभी कार्यकर्ता दर्शन शाह संवाद यात्रा पर निकले हुए हैं. उनके इस यात्रा को लेकर जो गाइडलाइन बनाया गया था, वह भी जगदानंद सिंह ने ही तय किया था. इसीलिए कई बार पार्टी कार्यकर्ताओं के निशाने पर भी जगदानंद सिंह रह चुके हैं.
तेजप्रताप यादव से भी जगदानंद का टकराव: जगदानंद सिंह का पार्टी कार्यालय से दूरी बनाना कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी दो बार उन्होंने पार्टी कार्यालय से दूरी बना ली थी. 5 जुलाई 2021 को छात्र आरजेडी के एक कार्यक्रम में तेजप्रताप यादव ने जगदानंद सिंह को 'हिटलर' तक कह दिया था. तेजप्रताप की इस बात से जगदानंद इतने खफा हुए कि वह पार्टी कार्यालय आना छोड़ दिया. स्थिति ऐसी हो गई कि 15 अगस्त को प्रदेश कार्यालय में झंडोतोलन में भी जगदानंद सिंह नहीं पहुंचे. तेजस्वी यादव को पार्टी कार्यालय आकर तिरंगा झंडा फहराना पड़ा.
जगदानंद सिंह के साथ तेजस्वी यादव (ETV Bharat) तेजस्वी ने जगदा बाबू को मनाया:काफी मान मनौवल के बाद 18 अगस्त को तेजस्वी यादव खुद जगदानंद सिंह को लेकर पार्टी कार्यालय पहुंचे थे लेकिन पार्टी कार्यालय पहुंचते ही जगदानंद सिंह ने कार्रवाई करते हुए तेजप्रताप यादव केकरीबी आकाश यादव को छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर गगन कुमार को छात्र राजद का अध्यक्ष नियुक्त किया. उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया, वह पहले की तरह ही काम करते रहे.
2022 में भी रूठ गए थे जगदानंद:वहीं, जगदानंद सिंह ने दूसरी बार 2022 में भी पार्टी कार्यालय से दूरी बनाई थी. जगदानंद सिंह के बड़े बेटे सुधाकर सिंह बतौर कृषि मंत्री लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर थे. स्थिति ऐसी बनी कि सुधाकर सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस्तीफे को स्वीकार किए जाने के बाद से जगदानंद सिंह नाराज थे. वो चाहते थे कि उनके बेटे मंत्री बनें रहें लेकिन उनका इस्तीफा ले लिया गया. 2 अक्टूबर 2022 से जगदानंद सिंह ने पार्टी ऑफिस आना बंद कर दिया. आखिरकार सिंगापुर जाने से पहले 28 नवंबर को लालू यादव ने उन्हें मना लिया और जगदानंद सिंह ने फिर से पार्टी कार्यालय आना शुरू किया. जब पत्रकारों ने जगदा बाबू से नाराजगी का कारण पूछा तो उन्होंने अपने सिर पर राजद की टोपी का इशारा कर अपना जबाव दिया था.
क्या कहते हैं जानकार?:तीसरी बार जगदानंद सिंह के पार्टी कार्यालय नहीं आने को लेकर उठे सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि जगदा बाबू की प्रकृति में है रूठना और मनाना. वे जब से प्रदेश अध्यक्ष हुए हैं, उसके बाद वह तीन बार रूठ चुके हैं. कभी तेज प्रताप यादव को लेकर तो कभी कुछ और बात को लेकर. कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि उपचुनाव में पार्टी बुरी तरह हारी है. उन पर सवाल उठने लगे कि एक तरफ वह समाजवाद की बात करते हैं और दूसरी तरफ परिवारवाद को बढ़ावा देते हैं. अब उन्हें यह लग रहा है कि कहीं नेतृत्व उन पर सवाल ना उठा दे. यही कारण है कि वह रूठ गए हैं.
"जगदा बाबू का रूठना उनके निजी जीवन की सियासत का एक हिस्सा रहा है. उसको लालू प्रसाद यादव जैसा वरिष्ठ नेता भी स्वीकार करते रहे, एक मित्र होने के नाते लेकिन इस बार मुझे नहीं लग रहा है कि यह रूठने का जो खेल वह सियासत में अपने पदोन्नति के लिए करते हैं, यह संभव इस बार नहीं होने वाला. जगदा बाबू को भी पता है कि उपचुनाव में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष बदला जा सकता है. ऐसे में इस बार उनके रूठने से भी राष्ट्रीय जनता दल की सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
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