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हेमंत सोरेन बने राज्य के 13वें मुख्यमंत्री, 4 जुलाई को अचानक क्यों लेनी पड़ी शपथ, दो रिकॉर्ड किया अपने नाम - Hemant Soren Oath

Hemant Soren Oath. हेमंत सोरेन ने झारखंड के 13वें सीएम के रूप में शपथ ले ली है. पहले माना जा रहा था कि सीएम 7 जुलाई को रथ यात्रा वाले दिन शपथ लेंगे. हालांकि अचानक उन्होंने 4 जुलाई को ही शपथ ले ली. इसके पीछे क्या वजह रही, जानिए इस रिपोर्ट में.

HEMANT SOREN OATH
शपथ के बाद हस्ताक्षर करते हेमंत सोरेन (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 4, 2024, 6:41 PM IST

Updated : Jul 4, 2024, 6:50 PM IST

रांची:झारखंड एक बार फिर चर्चा में हैं. वजह बने हैं हेमंत सोरेन. वह राज्य के 13वें और तीसरी बार सीएम बनने वाले तीसरे नेता बन चुके हैं. उनसे पहले थोड़े-थोड़े वक्त के लिए भाजपा के अर्जुन मुंडा और झामुमो अध्यक्ष और उनके पिता शिबू सोरेन तीन-तीन बार सीएम पद पर रह चुके हैं. यह इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने गठन के 24 वर्षों के भीतर 13वां मुख्यमंत्री देखा है. फिलहाल, इस बात की चर्चा है कि हेमंत सोरेन को 4 जुलाई को ही सीएम पद की शपथ लेने की जरूरत क्यों पड़ी. जबकि उनके पास बहुमत था. उन्होंने 44 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा था.

सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि 4 जुलाई को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें राजभवन आमंत्रित कर संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत लेटर ऑफ अप्वाइंटमेंट सौंप दिया था. इस बीच झामुमो के कई वरिष्ठ नेता इस बात की घोषणा कर चुके थे कि 7 जुलाई को रथ यात्रा के दिन शुभ मुहूर्त में हेमंत सोरेन सीएम पद की शपथ लेंगे. लेकिन यह तारीख धरी की धरी रह गई.

अचानक यह बात सामने आई कि हेमंत सोरेन 4 जुलाई को ही सीएम पद की शपथ लेंगे. राजभवन सूत्रों ने भी इस बात को कंफर्म कर दिया. आनन फानन में राजभवन में तैयारियां पूरी की गईं और हेमंत सोरेन को शाम 5 बजे सीएम पद की शपथ दिलायी गयी. ऐसा पहली बार हुआ जब राज्य के किसी विधायक ने अकेले सीएम पद की शपथ ली हो. यह रिकॉर्ड भी हेमंत सोरेन के नाम जुड़ गया.

अब सवाल है कि हेमंत सोरेन को शपथ लेने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखानी पड़ी. राजनीतिक गलियारे में दिनभर इस बात की चर्चा होती रही कि 5 जनवरी 2024 को पंचम झारखंड विधानसभा के पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है. लिहाजा, 7 जुलाई को सीएम पद की शपथ लेने पर उनका कार्यकाल छह माह से कम का बचता. ऐसे में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता था. जबकि ऐसा कुछ नहीं है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के मुताबिक भी किसी भी विधानसभा के गठन की अवधि छह माह से कम बची होती है तो चुनाव आयोग कभी भी चुनाव की तारीख का ऐलान कर सकता है. लेकिन यहां ऐसी कोई बात नहीं थी. क्योंकि हेमंत सोरेन को राजभवन से लेटर ऑफ अप्वाइंटमेंट मिल चुका था.

सबको मालूम है कि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होने के बाद ही चुनाव की तारीखों का आधिकारिक ऐलान होता है. लिहाजा, झारखंड में किसी तरह का संवैधानिक संकट नहीं था. वैसे इस जल्दबाजी के लिए झामुमो के नेताओं से कारण पूछा गया तो सबने पल्ला झाड़ लिया. सिर्फ कांग्रेस की तरफ से प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि हेमंत जी को काम करना है. हर पल कीमती है. जनता से किए वादों को धरातल पर लाना है. कार्यवाहक के तौर पर हर बातों को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सकता है. आश्चर्य की बात है कि हेमंत सोरेन के आज ही शपथ लेने की पुष्टि होने के बावजूद कांग्रेस के प्रवक्ता के पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि उनके साथ कौन-कौन मंत्री पद की शपथ लेंगे. फिलहाल, यह जल्दबाजी एक सवाल बनकर रह गई है. इसका जवाब सिर्फ सीएम हेमंत सोरेन के पास है.

अब सबकी नजर कैबिनेट विस्तार पर टिकी है. संभावना जतायी जा रही है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 7 जुलाई को रथयात्रा के दिन अपने कैबिनेट का विस्तार कर देंगे. इसके बाद वह रांची के जगन्नाथपुर में वर्षों से आयोजित होने वाले रथयात्रा में शामिल होंगे.

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Last Updated : Jul 4, 2024, 6:50 PM IST

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