रांची:झारखंड एक बार फिर चर्चा में हैं. वजह बने हैं हेमंत सोरेन. वह राज्य के 13वें और तीसरी बार सीएम बनने वाले तीसरे नेता बन चुके हैं. उनसे पहले थोड़े-थोड़े वक्त के लिए भाजपा के अर्जुन मुंडा और झामुमो अध्यक्ष और उनके पिता शिबू सोरेन तीन-तीन बार सीएम पद पर रह चुके हैं. यह इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने गठन के 24 वर्षों के भीतर 13वां मुख्यमंत्री देखा है. फिलहाल, इस बात की चर्चा है कि हेमंत सोरेन को 4 जुलाई को ही सीएम पद की शपथ लेने की जरूरत क्यों पड़ी. जबकि उनके पास बहुमत था. उन्होंने 44 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा था.
सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि 4 जुलाई को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें राजभवन आमंत्रित कर संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत लेटर ऑफ अप्वाइंटमेंट सौंप दिया था. इस बीच झामुमो के कई वरिष्ठ नेता इस बात की घोषणा कर चुके थे कि 7 जुलाई को रथ यात्रा के दिन शुभ मुहूर्त में हेमंत सोरेन सीएम पद की शपथ लेंगे. लेकिन यह तारीख धरी की धरी रह गई.
अचानक यह बात सामने आई कि हेमंत सोरेन 4 जुलाई को ही सीएम पद की शपथ लेंगे. राजभवन सूत्रों ने भी इस बात को कंफर्म कर दिया. आनन फानन में राजभवन में तैयारियां पूरी की गईं और हेमंत सोरेन को शाम 5 बजे सीएम पद की शपथ दिलायी गयी. ऐसा पहली बार हुआ जब राज्य के किसी विधायक ने अकेले सीएम पद की शपथ ली हो. यह रिकॉर्ड भी हेमंत सोरेन के नाम जुड़ गया.
अब सवाल है कि हेमंत सोरेन को शपथ लेने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखानी पड़ी. राजनीतिक गलियारे में दिनभर इस बात की चर्चा होती रही कि 5 जनवरी 2024 को पंचम झारखंड विधानसभा के पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है. लिहाजा, 7 जुलाई को सीएम पद की शपथ लेने पर उनका कार्यकाल छह माह से कम का बचता. ऐसे में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता था. जबकि ऐसा कुछ नहीं है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के मुताबिक भी किसी भी विधानसभा के गठन की अवधि छह माह से कम बची होती है तो चुनाव आयोग कभी भी चुनाव की तारीख का ऐलान कर सकता है. लेकिन यहां ऐसी कोई बात नहीं थी. क्योंकि हेमंत सोरेन को राजभवन से लेटर ऑफ अप्वाइंटमेंट मिल चुका था.