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चुनावी दांव या सुप्रीम कोर्ट की बंदिशों ने बनाई केजरीवाल के इस्तीफे की राह?, राजनीतिक पंडितों से जानिए - Kejriwal Resignation Politics

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 15, 2024, 5:49 PM IST

Updated : Sep 15, 2024, 6:22 PM IST

अरविंद केजरीवाल ने अगले दो दिन में सीएम पद से इस्तीफा देने की बात को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केजरीवाल इस्तीफा देकर लोगों की सहानुभूति हासिल करने के फिराक में हैं.

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अरविंद केजरीवाल की अग्नि परीक्षा (Animated)

नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति घोटाले के आरोप में जमानत पर जेल से बाहर आए अरविंद केजरीवाल ने अगले दो दिन में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कही है. इसके राजनीतिक मायने क्या हैं इस पर ETV Bharat ने राजनीतिक विश्लेषकों से बात की. उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने इस्तीफा देकर एक तीर से कई निशाना साधा है. वह मुख्यमंत्री नहीं रहते हुए भी मुख्यमंत्री जितना ओहदा रखेंगे, क्योंकि पार्टी में उनका कद बड़ा है और उन्हें कोई चैलेंज करने वाला नहीं है.

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बना सकते हैं. इससे शीश महल में ही रह सकेंगे. साथ ही वह हरियाणा व दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए फ्री रहेंगे. वह जनता के बीच विक्टिम कार्ड खेलेंगे कि उन्हें कोर्ट ने जमानत दे दी है. अगर मैं ईमानदार हूं तो वोट दीजिए. वह जानता के बीच जाएंगे और बताएंगे कि उन्हें झूठे केस में फंसाया गया है. इस तरीके से वह विक्टिम कार्ड खेलेंगे.

सरकार चलाने के लिए केजरीवाल को इस्तीफा देना ही पड़ता:राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के साथ कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें अरविंद केजरीवाल बतौर मुख्यमंत्री ना तो ऑफिस जा सकते हैं और ना ही सचिवालय. वह मुख्यमंत्री की हैसियत से किसी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते. जब तक यह केस चलेगा तब तक ये प्रतिबंध रहेंगे. ऐसे में दिल्ली की सरकार चलाने के लिए उनको इस्तीफा देना ही पड़ता. केजरीवाल ने रविवार को अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने वकीलों से बात की तो कम से कम 10 साल तक केस चलने की बात कही. उन्होंने कहा कि वह जनता की अदालत में जाएंगे. जब जनता वोट देकर यह कहेगी कि वह ईमानदार हैं तभी वह सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे.

सहानुभूति हासिल करने की कोशिश में केजरीवाल:राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल को कोई चैलेंज नहीं दे सकता. इतने प्रतिबंध लगने के बाद वह बतौर मुख्यमंत्री कुछ कर नहीं सकते थे. ऐसे में उन्होंने बलिदानी पोस्चर दिखाने के लिए कहा कि मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ रहा हूं. इस्तीफा देकर वह लोगों की सहानुभूति हासिल करने का काम करेंगे. शराब नीति घोटाले से आम आदमी पार्टी की छवि को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए यह प्रयास किया जा रहा है. बता दें, वर्ष 2014 में भी 49 दिन सरकार चलाने के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

खुद की विक्टिम इमेज के लिए केजरीवाल ने दिया इस्तीफा:वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक एनके सिंह का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने एक तीर से कई निशाना साधा है. उनके इस कदम से कोई यह नहीं कहेगा कि ये चीफ मिनिस्टर नहीं है और दूसरा चीफ मिनिस्टर हो जाएगा. इस तरीके से केजरीवाल आगामी हरियाणा और दिल्ली चुनाव के लिए खुद को फ्री कर लेंगे और चुनाव की तैयारी में लग जाएंगे. यदि अरविंद केजरीवाल पहले चुनाव करना चाहते हैं तो इसके लिए उपराज्यपाल और राष्ट्रपति के रिकमेंडेशन की जरूरत पड़ेगी.

"केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से 4 महीने पहले इस्तीफा इसलिए दे रहे हैं, जिससे वह लोगों के बीच एक विक्टिम की इमेज खड़ी कर सकें कि उन्हें गलत शिकार बनाया गया है. बीते लोकसभा चुनाव में देश में भारतीय जनता पार्टी को उतनी सीटें नहीं मिलीं जितनी पहले मिली थीं. केजरीवाल को लगता है कि इसी प्रवाह में इस बार भी बीजेपी को कम वोट मिलेंगे. क्योंकि ये राज्य का चुनाव है. अरविंद केजरीवाल को लग रहा है कि इस बार भी राज्य के चुनाव में वह सफल रहेंगे. अगर अरविंद केजरीवाल अपने इरादे में सफल रहेंगे तो वह सरकार पर दबाव डालेंगे कि हमारे खिलाफ ये केस गलत हैं." -एनके सिंह,वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक

जनता की नहीं होती कोई अदालत:वरिष्ठ पत्रकार नवल किशोर ने कहा कि यह बड़ी गलत बात है कि लोग कहते हैं कि जनता की अदालत से चुनकर आए हैं. भारत के संविधान में कोई जनता की अदालत नहीं होती. क्या जानता कोई कोर्ट लगाती है? लोग मान लेते हैं कि जनता की अदालत ने हमें चुना है. यदि जनता की अदालत होती तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की क्या जरूरत थी.

"अब अरविंद केजरीवाल किसी ऐसे शख्स को मुख्यमंत्री के पद पर बैठाएंगे, जिससे मनीष सिसोदिया, संजय सिंह चुनाव प्रचार के लिए फ्री रहें. यह लोग भी अपने आप को एक विक्टिम इमेज पेश करें. क्योंकि ये लोग भी जेल में बंद हो चुके हैं. अरविंद केजरीवाल का यह गेम कितना सफल होता है आने वाले दिनों में समझ में आएगा." -नवल किशोर, वरिष्ठ पत्रकार

शराब नीति घोटाले से दागदार हुई पार्टी:वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अजय पांडेय का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अंतरिम जमानत पर बाहर आए केजरीवाल ने लोगों से अपील की थी कि इंडिया गठबंधन को वोट देंगे तो उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन जनता ने उन पर विश्वास नहीं जताया था. दिल्ली में सातों लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन की हार हुई थी. इस बार उन्होंने इस्तीफा देकर विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं. देखना होगा कि लोग कितना भरोसा जताते हैं. शराब नीति घोटाले से अरविंद केजरीवाल समेत पूरी आम आदमी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है.

"जनता की अदालत में जाने की बात कहकर केजरीवाल खुद को बेदाग साबित करने का प्रयास कर रहे हैं. भाजपा उनसे इस्तीफा मांग रही थी. वह जेल से सरकार नहीं चला सकते थे. अब कई प्रतिबंध लगने के बाद वह इस्तीफा देने जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने चुनाव का बिगुल भी फूंक दिया है. अरविंद केजरीवाल महिलाओं के सम्मान की छवि जनता के सामने पेश करते थे, लेकिन उनके ओएसडी द्वारा राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के भी आरोप लगे हैं. इससे उनका किरदार दागदार हुआ है. स्वाति मालीवाल के साथ राजकुमार आनंद के मंत्री पद से इस्तीफा के बाद भाजपा में शामिल होने के मामले में भी लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा की है." -अजय पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक

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Last Updated : Sep 15, 2024, 6:22 PM IST

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