रांची: लोकसभा चुनाव 2024 के छठे और झारखंड के तीसरे चरण में राज्य की 04 लोकसभा सीट रांची, धनबाद, जमशेदपुर और गिरिडीह में 25 मई को वोटिंग होगी. 25 मई को जिन चार लोकसभा की सीट पर मतदान होना है वहां कुल मिलाकर 93 उम्मीदवार (रांची- 27, जमशेदपुर-25, धनबाद-27, गिरिडीह- 16) चुनाव मैदान में हैं. कुल 82 लाख 06 हजार 926 मतदाता इन चार लोकसभा सीट पर हैं जिसमें पुरुष मतदाता की संख्या 42 लाख 06 हजार 926 हैं. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 40 लाख 09 हजार 290 और थर्ड जेंडर की संख्या 290 है.
गिरिडीह लोकसभा सीट
शनिवार 25 मई को होने वाले मतदान वाले लोकसभा क्षेत्रों में इस बार गिरिडीह में NDA की ओर से आजसू उम्मीदवार चंद्रप्रकाश चौधरी और INDIA की ओर से मथुरा महतो के बीच की सीधी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की पूरी कोशिश करते युवा छात्र नेता के रूप में उभरे झारखंड भाषा-खतियान संघर्ष समिति (JBKSS) के जयराम महतो दिख रहे हैं. इस बार गिरिडीह लोकसभा सीट पर लड़ाई मुख्य रूप से इन्हीं तीन कुड़मी महतो जाति से आने वाले उम्मीदवारों के बीच है.
गिरिडीह का नतीजा इस बात पर तय करेगा कि NDA और INDIA गठबंधन उम्मीदवार अपने जातीय वोटों के अलावा अन्य जाति समाज के वोटों में कितना सेंधमारी कर पाते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में आजसू-NDA प्रत्याशी के रूप में चंद्रप्रकाश चौधरी ने 58.6% मत पाकर झामुमो प्रत्याशी जगरनाथ महतो को बड़े मतों के अंतर से करारी शिकस्त दी थी. गिरिडीह में करीब 11% मुस्लिम, 15% महतो कुड़मी और 07% के करीब राजपूत वोटर हमेशा से निर्णायक माने जाते रहे हैं. इस बार भी इन्ही के रुख पर गिरिडीह का नतीजा निर्भर करेगा.
कोयलांचल के धनबाद लोकसभा सीट पर भी 25 मई को मतदान होगा. इस बार इस प्रतिष्ठित लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने प्रत्याशी बदल दिए हैं. भाजपा ने पीएन सिंह की जगह बाघमारा से विधायक ढुल्लू महतो पर दांव खेला. कांग्रेस ने भी 2019 के प्रत्याशी कीर्ति झा आजाद की जगह इस बार बेरमो से अपने विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बनाया.
ढुल्लू महतो की उम्मीदवारी के बाद से ही इस बार चर्चा में रहने वाले धनबाद लोकसभा सीट को जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने काफी मेहनत की है. दोनों पक्ष और उम्मीदवारों ने कोशिश की है कि वह फ्लोटिंग वोटर को अपनी तरफ खींचें. इस लोकसभा सीट पर अनुपमा सिंह को इस बात को लेकर बढ़त मिल रही है कि उनके पास धनबाद क्षेत्र में गिनाने के लिए बहुत सारे मुद्दे हैं जिसे भाजपा के प्रतिनिधि अभी तक पूरा नहीं कर पाएं.
अनुपमा सिंह धनबाद में एयरपोर्ट, रंगदारी, प्रदूषण और सबसे बढ़कर वर्तमान भाजपा उम्मीदवार के आपराधिक छवि को लेकर जनता के बीच जा रही हैं तो भाजपा उम्मीदवार ढुल्लू महतो को उम्मीद है कि मतदान के दिन आते आते चुनाव अगड़ा बनाम पिछड़ा हो जाएगा और भाजपा के कोर वोट के साथ पिछड़े वोटों की गोलबंदी से धनबाद में उनकी आसान जीत होगी.
करीब 17% मुस्लिम और 08-08 प्रतिशत क्षत्रिय-महतो वोटर वाले धनबाद लोकसभा सीट पर इस बार न सिर्फ सीधा मुकाबला है बल्कि लड़ाई बेहद नजदीकी है.
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में पीएन सिंह ने एकतरफा करीब 66% वोट पाकर कांग्रेस के उम्मीदवार कीर्ति आजाद को 3.41 लाख मतों के अंतर से हराया था.
रांची लोकसभा सीट
झारखंड की राजधानी क्षेत्र को खुद में समेटे रांची लोकसभा सीट पर इस बार आमने सामने का मुकाबला भाजपा के संजय सेठ और कांग्रेस की यशस्विनी सहाय के बीच है. इस लोकसभा सीट पर 2004 से लेकर 2019 तक हुए चार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला 2-2 से बराबरी पर है. 2004 और 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सुबोधकांत सहाय की जीत हुई थी जबकि 2014 में भाजपा के रामटहल चौधरी और 2019 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ विजयी हुए थे. इस बार संजय सेठ का मुकाबला सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय से है.
राजधानी क्षेत्र के शामिल होने की वजह से मिली जुली आबादी वाले इस लोकसभा क्षेत्र में भी मुस्लिम, महतो, एसटी के साथ-साथ सामान्य जाति के वोटर अपनी खास भूमिका जीत-हार में निभाते हैं. राजधानी क्षेत्र का अधूरा विकास, बंदी के कगार पर पहुंचे HEC का मुद्दा, सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण, बेरोजगारी यहां के लोगों के खास मुद्दे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय की भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के हाथों करारी हार हुई थी. हार जीत का अंतर 2.83 लाख के करीब था.