दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

WHO ने पहली बार एम्स में सामूहिक दुर्घटना प्रबंधन के लिए शुरू किया प्रशिक्षण - Mass casualty management Aiims

WHO ने भारत में पहली बार एम्स में सामूहिक दुर्घटना प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है. WHO ने फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए यह कार्यक्रम डेवलप किया है.

दिल्ली एम्स
दिल्ली एम्स (Etv bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 1, 2024, 7:28 PM IST

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अकादमी सामूहिक दुर्घटना प्रबंधन (एमसीएम) ने एम्स दिल्ली के ट्रॉमा सेंटर में भारत में पहली बार आपातकालीन इकाइयों की तैयारी के लिए ट्रेनर्स का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है. WHO एकेडमी ने आपातकालीन इकाइयों में काम करने वाले फ्रंटलाइन हेल्थकेयर स्टाफ जैसे डॉक्टर, नर्स, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट, स्टाफ, प्रबंधन और तकनीशियनों के लिए सामूहिक दुर्घटना प्रबंधन कार्यक्रम विकसित किया है.

मास कैजुअल्टी जैसी स्थिति के दौरान उपयोगी होगा मास कैजुअल्टी कोर्स

एम्स के जय प्रकाश नारायण ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख प्रोफेसर कामरान फारूक के अनुसार WHO ने मास कैजुअल्टी केस का पेटेंट कराया है. यह पेटेंटेड मास कैजुअल्टी कोर्स है, जो मास कैजुअल्टी जैसी स्थिति के दौरान उपयोगी होगा. जिसमें अस्पताल को मास कैजुअल्टी को संभालना पड़ता है, ताकि अधिक से अधिक जिंदगियों को बचाए जा सके. इस टीम के पास सोमालिया, इराक आदि और कई अन्य देशों का अनुभव है.

ये भी पढ़ें: जापान की मदद से दिल्ली एम्स बनाएगा मेडिकल डिवाइस सेंटर, विदेशों पर कम होगी निर्भरता

डॉक्टर कामरान ने कहा कि हमारा विजन है कि एम्स ट्रॉमा सेंटर में प्रशिक्षित होने वाली फैकल्टी पूरे देश के अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में ट्रेनिंग देंगे. यह कोर्स पांच दिनों का होगा, जिसमें तीन दिन कोर्स के लिए और दो दिन प्रशिक्षण के लिए होंगे. इस ट्रेनिंग में एम्स के अन्य संकाय भी भाग ले रहे हैं. डॉ. हेराल्ड वीन, कोर्स लीड, मास कैजुअल्टी मैनेजमेंट कोर्स, डब्ल्यूएचओ ईएमआरओ ने कहा कि मास कैजुअल्टी के समय हर उस मरीज को उपचार देना संभव नहीं है, जिसकी जान जाने का खतरा है.

सामूहिक कैजुअल्टी जैसी स्थितियों के दौरान यह विकल्प चुनना पड़ता है कि उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए. उन संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है. यह असाधारण स्थितियों के लिए है, जहां अस्पताल को वास्तव में अपने सामान्य रोगी प्रबंधन नीति को बदलना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: दांतों की बीमारियों को लेकर देश भर में सर्वे करा रहा एम्स, दांतों के इलाज के लिए बनेगी नीति

उन्होंने कहा कि रोगियों के लाभ के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा विशेषज्ञों के अंतरराष्ट्रीय समूह के साथ सामूहिक कैजुअल्टी प्रबंधन मॉडल विकसित किया गया है. हम भारत में ऐसी प्रणाली शुरू करने और इस सामूहिक प्रबंधन को आगे बढ़ाने में बहुत खुश हैं. प्रशिक्षण का उद्देश्य अस्पताल को सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण देने में सक्षम बनाना है, जब एक गंभीर स्थिति के दौरान एक ही समय में बहुत से लोगों का इलाज किया जाना हो.

डॉ. अली मेहदी कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन और मेडिकल डायरेक्टर केंट और कैंटरबरी अस्पताल, यूके ने बताया कि अगर एक भी व्यक्ति की जान बचा पाना बड़ी उपलब्धि है, तो हमारा मानना है कि न केवल एम्स बल्कि भारत में भी यह एक बड़ी उपलब्धि है. इस आयोजन में भाग लेने वाली टीम में एम्स नई दिल्ली, एम्स जोधपुर, एम्स पटना और एम्स जम्मू शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: शोध से अधिक रोगी को समय देना पड़ता है, फिर भी दिल्ली एम्स नोबेल पुरस्कार जीतेगा: AIIMS डायरेक्टर



ABOUT THE AUTHOR

...view details