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दूसरी-तीसरी कक्षा में पढ़ाई के समय ही मन में उमड़ते थे कविता लिखने के भावः रामदरश मिश्र - SEMINAR ON RAMDARASH ​​MISHRA

शताब्दी साहित्यकार रामदरश मिश्र पर केंद्रित दो दिवसीय अतंरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है. इससे पहले रामदरश मिश्र ने विचार साझा किए.

रामदरश मिश्र विषय पर संगोष्ठी
रामदरश मिश्र विषय पर संगोष्ठी (रामदरश मिश्र विषय पर संगोष्ठी)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 12, 2024, 11:00 AM IST

नई दिल्लीःदिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के श्री गुरू तेग बहादुर खालसा कॉलेज में आज मंगलवार से शताब्दी साहित्यकार रामदरश मिश्र पर केंद्रित दो दिवसीय अतंरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है. इससे पहले रामदरश मिश्र ने बताया कि उनके 101वें साल में प्रवेश करने पर उनकी कविताओं और उपन्यासों पर चर्चा के लिए आयोजित हो रही इस संगोष्ठी से वह बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि खालसा कॉलेज से मेरा संबंध दशकों पुराना है. कॉलेज में प्रोफेसर रहे डॉ. महीप सिंह मेरे घनिष्ठ मित्र थे. उन्होंने 1965 से ही मुझे कॉलेज में आयोजित गोष्ठियों में बुलाना शुरू कर दिया था.

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11 वर्ष की उम्र में लिखी पहली कविता

उसके बाद से यह सिलसिला निरंतर जारी है. उन्होंने बताया, "जब मैं दूसरी और तीसरी कक्षा में पढ़ता था तब से ही कविता पढ़ते समय मन में कविता लिखने का भाव उमड़ता था. मन में आता था कि मैं भी अपनी कोई कविता लिखूं और शब्दों को जोड़ने औऱ तुक मिलाने में लग जाता था. लेकिन, कविता लिखना इतना आसान नहीं था. फिर मुझे पता चला कि मेरे गांव का एक लड़का गोरखपुर में पढ़ता है और वह कविताएं लिखता है. मैं उनसे कविताएं कैसे लिखते हैं यह सीखने के लिए गोरखपुर गया. वहां, एक दिन कांग्रेस की एक जनसभा थी. सबसे पहले मैंने उस जनसभा पर ही एक कविता लिखी. मैंने अपनी पहली कविता 11 वर्ष की उम्र में लिखी थी."

कविताएं और उपन्यास लिखने की शुरुआत
उन्होंने बताया, "रस, छंद और अलंकार का अभ्यास शुरू कर दिया. फिर धीरे-धीरे कविताएं लिखना आ गया. फिर उपन्यास लिखने की भी शुरुआत हुई. उसके बाद यह सिलसिला करीब 80 साल तक चलता रहा. अपने जीवन में खूब कविताएं और उपन्यास लिख लिए हैं. मुझे हिंदी साहित्य जगह में भी खूब प्यार और सम्मान दिया गया है. इससे मैं अभिभूत हूं. खालसा कॉलेज में हिंदी के शिक्षकों की नई पीढ़ी मेरे नाम का पोस्टर उठाकर मुझे इतना सम्मान दे रही है यह मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है. कॉलेज के प्रिन्सपल खुद हिंदी भाषा के नहीं हैं. इसके बावजूद उन्होंने मेरे सम्मान में इतना बड़ा कार्यक्रम रखा है यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है."

दो दिन तक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मेरे साहित्य पर चर्चा और विमर्श होगा यह मेरे लिए यादगार रहेगा. उन्होंने बताया कि साहित्य अकादमी और अन्य संस्थाओं पर पहले भी उन पर केंद्रिय कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है. उनको हिंदी साहित्य जगत में हमेशा से सम्मान मिलता रहा है यही उनकी जिंदगी की पूंजी है. उन्होंने बताया कि वह अस्वस्थ हैं. लेकिन, फिर भी कल के कार्यक्रम में जाएंगे और जितनी देर संभव होगा कार्यक्रम में रहेंगे.

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