शिमला:वर्तमान समय में जहां बढ़ता वजन और स्ट्रेस लेवल चिंता का विषय बना हुआ है. वहीं, गर्मियों के दिनों में डिहाइड्रेशन की समस्या भी आम हो जाती है. ऐसे में मौजूदा समय में वॉटर फास्टिंग का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. वॉटर फास्टिंग को लोग अपना वजन कम करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. वॉटर फास्टिंग के दौरान शरीर में पानी के सिवा और कुछ भी नहीं लिया जाता है.
क्या है वॉटर फास्टिंग?
आईजीएमसी शिमला में विशेषज्ञ डॉक्टर संजय राठौर ने बताया कि वॉटर फास्टिंग का मतलब फास्ट (व्रत) है, जिस दौरान सिर्फ पानी पिया जाता है. इसके अलावा कुछ भी नहीं खाया जाता है. डॉ. संजय राठौर ने बताया कि इन दिनों वजन कम करने के लिए वॉटर फास्टिंग का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसके जरिए वजन को आसानी से कम किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पानी पी कर इंसान 10 दिन तक जिंदा रह सकता है, लेकिन मेडिकल साइंस के मुताबिक वॉटर फास्टिंग 24 से 72 घंटे की जाती है.
वॉटर फास्टिंग के फायदे
डॉ. संजय राठौर ने बताया कि वॉटर फास्टिंग पर 2021 में एक शोध किया गया था. जिसमें 12 लोगों को 8 दिनों तक खाली पानी दिया गया था. उसके बाद उन लोगों को टेस्ट किया गया तो न सिर्फ उन लोगों का वजन कम हुआ था, बल्कि उनमें स्ट्रेस लेवल भी काफी कम पाया गया.
- वजन कम होना
- स्ट्रेस लेवल कम होना
- कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होना
शरीर में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल दिल के रोग और स्ट्रोक का कारण बनता है. ऐसे में वॉटर फास्टिंग फॉलो करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल ठीक रहता है. जिससे स्ट्रोक और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है.
वॉटर फास्टिंग के साइड इफेक्ट
डॉ. संजय राठौर ने बताया कि 2022 में भी वॉटर फास्टिंग पर शोध किया गया. इसमें 48 लोग, जिसमें महिला पुरुष शामिल थे. इन्हें वॉटर फास्टिंग के लिए 10 दिन तक रखा गया था. इस दौरान भी उनका वजन कम हुआ था और स्ट्रेस लेवल भी डाउन हुआ था, लेकिन इसके कई दुष्परिणाम भी देखे गए. डॉक्टर ने बताया कि 24 से 72 घंटे जब व्यक्ति खाली पानी पीता है तो उसमें अक्सर गैस्ट्रिक की समस्या आ जाती है.
- गैस्ट्रिक की समस्या
- सामान्य बीमारी, जैसे नोजल की समस्या
- सिर दर्द
- पैनिक अटैक
- एंग्जाइटी
- थकान
ये लोग न करें वॉटर फास्टिंग
डॉ. संजय राठौर और डाइटिशियन डॉ. याचना शर्मा ने बताया कि वॉटर फास्टिंग को वेट लॉस और मेंटल स्ट्रेस कम करने के काफी कारगर माना जाता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए वॉटर फास्टिंग नुकसानदायक हो सकती है. इसमें कई तरह के मरीज शामिल हो सकते हैं. जैसे की:
- डायबिटीज के मरीज- डॉक्टर का कहना है कि डायबिटीज के मरीज ज्यादा देर भूखे नहीं रह सकते हैं. इससे उनका शुगर लेवल फ्लकचुएट (कम या ज्यादा) होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में डायबिटीज के मरीजों के लिए वॉटर फास्टिंग बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है. इससे उनकी तबीयत और खराब होने के चांसेस रहते हैं.
- लो बीपी के मरीज-लो बीपी के मरीज भी ज्यादा देर खाए-पिए बिना नहीं रह सकते हैं, क्योंकि इससे उनका ब्लड प्रेशर लेवल डाउन हो जाता है और फिर उन्हें थकान और चक्कर आने जैसे समस्या हो सकती है. इसलिए डॉक्टरों द्वारा लो बीपी के मरीजों को भी वॉटर फास्टिंग की सलाह नहीं दी जाती है.
- गर्भवती महिलाएं- डॉक्टरों के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को भी वॉटर फास्टिंग नहीं करनी चाहिए. इससे न सिर्फ उनकी बल्कि बच्चे की सेहत भी पर भी खराब असर पड़ने का खतरा रहता है.
- गठिया रोग के मरीज- डॉ. संजय राठौर ने बताया कि गठिया रोग के मरीजों को भी वॉटर फास्टिंग नहीं करनी चाहिए.
वॉटर फास्टिंग से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स बदलाव
डॉ. संजय राठौर ने बताया कि जब व्यक्ति सिर्फ पानी पर ही निर्भर रहते हैं तो शरीर में एनर्जी डाउन होने लगती है. इस स्थिति में शरीर में जमा फैट काम करने लगता है. इससे कमजोरी महसूस होने लगती है. वॉटर फास्टिंग करते समय शरीर के इलेक्ट्रोलाइट्स में बदलाव आने लगता है. ऐसे में शरीर में ज्यादा थकान महसूस होती है. आईजीएमसी में डाइटिशियन डॉ. याचना शर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में वॉटर फास्टिंग से वजन कम करने का एक नया ट्रेंड चला है. इससे लोगों का वेट और मेंटल स्ट्रेस दोनों कम होता है. डॉ. याचना शर्मा ने बताया कि वॉटर फास्टिंग के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, उसके बाद ही लोगों का वॉटर फास्टिंग करनी चाहिए.
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