नई दिल्ली: दुनियाभर में 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों की समस्याओं और संघर्षों को समाज के सामने उजागर करना है. साथ ही उनके अधिकारों, सामाजिक न्याय और कामकाजी परिस्थितियों पर बात करना, दिक्कतों को जानने और इन स्थितियों में सुधार करने से जुड़ा हुआ है. ये असल में मजदूरों के प्रति, उनके अधिकारों के प्रति आम लोगों और खुद मजदूरों में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. दरअसल, इस दिन की शुरुआत भी ऐसे ही हुई थी, साल 1886 में मजदूरों ने लगातार 15-15 घंटे काम करने से मना कर दिया था. तब से शुरूआत हुई मजदूरों को हक के मांग की. कोरोना काल के दौरान लगे लॉक डाउन में मजदूओं के बड़ी तादाद ने अपने मूल निवास स्थल का रुख किया था. आज भी कई मजदूर ऐसे हैं जो दोबारा अपने कार्यस्थल पर वापस ही नहीं आ पाए. राजधानी में कई संगठन ऐसे हैं, जो मजदूरों के हित को लेकर काम करते हैं. इस एक बहुचर्चित संगठन है भारतीय ट्रेड यूनियनों का केंद्र (CITU). सीटू के जनरल सेक्रेटरी अनुराग सक्सेना से 'ETV भारत' से राजधानी में मजदूरों की समस्याओं को लेकर बातचीत की.
नए लेबर कोड से मज़दूरों को खतरा
उन्होंने बताया कि 2014 में आये नए लेबर कोड्स को लेकर सभी राजनीतिक दलों में सहमति है. इसको सभी दबाव के साथ लागू करना चाहते हैं. लेकिन मज़दूर संगठन और खुद मज़दूर वर्ग चाहता है. चार लेबर कोड्स को रद्द किया जाए. हम सभी जानते हैं 2020-21 में किसानों के 3 बिलपास किये गए थे उसी समय मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड्स को पास किया गया था. इस दौरान कांग्रेस पार्टी ने भी इसका समर्थन किया था वहीं हर मज़दूर संगठन इसका शुरू से ही विरोध करता आ रहा है. विरोध इसलिए किया गया क्योंकि मज़दूर संगठनों का मानना है कि इसके लागू होने से मज़दूरों को मिलने वाले सभी अधिकार खत्म हो जायेंगे. देशभर की ट्रेड यूनियनों ने भाजपा सरकार द्वारा लाए गए नए लेबर कोड्स का तीखा विरोध किया है. यूनियनों का कहना है कि नए लेबर कोड के आने से मज़दूरों के लगभग सभी अधिकारों को छीन लिया जायेगा.
बता दें कि नए लेबर कोड में काम के घंटों और साप्ताहिक छुट्टियों को लेकर कई बदलाव किये गए हैं. इसमें एक सप्ताह में चार दिन ही काम करने की बात कही गई है. वही दूसरी तरफ एक सप्ताह में तीन छुट्टियों की बात भी की गयी है. गौर करने वाली बात ये है कि इस नियम के बाद हर रोज 12-12 घंटे काम करना होगा. सरकार का प्रस्ताव है कि सप्ताह में एक कर्मचारी को कम से कम 48 घंटे काम करना ही होगा. इसी तरह सरकार अर्नड लीव में भी बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है. अगर यह लागू कर दिया जाता है तो नया वेतन कोड कर्मचारियों को आगे ले जाने पर 300 छुट्टियों तक नकद करने की अनुमति देगा. खासतौर पर छुट्टियों की पात्रता (leave eligibility) को एक वर्ष में काम के 240 दिनों से घटाकर 180 दिन कर दिया गया है. इसके तहत मज़दूरों से एक समय सीमा से लिए कॉन्ट्रेट साइन करवाया जायेगा. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अग्निवीर स्कीम. इसमें युवाओं को मात्र चार वर्ष के लिए ही नौकरी दी जाएगी.
नए श्रम कानून के लागू होने से टेक होम सैलरी ( NWCTHS) घट जाएगी. वही दूसरी ओर PF कंट्रीब्यूशन के साथ कर्मचारी की ग्रेच्युटी बढ़ जाएगी. नई व्यवस्था में ग्रेच्युटी की गणना ‘डीम्ड’ बेसिक सैलरी (Deemed Basic Salary) के आधार पर होगी, जो कि टोटल सैलरी के 50 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा अनुराग का मानना है कि मज़दूरों के रोज़गार को समय सीमा में नहीं बांधा जाए, बल्कि उन्हें वर्ष के 365 दिन और वर्षों तक रोज़गार के अधिकार दिया जाएं.
लॉक डाउन के बाद नहीं लौटे कई मज़दूर
कोरोना काल मज़दूरों के लिए सबसे मुश्किल का दौर था इस समय लाखों की संख्या में मज़दूरों ने पलायन किया. कई तो पैदल ही सड़कों पर चल कर अपने गांव वापस गए. अनुराग ने बताया कि 2020 में जिस संख्या में मज़दूरों ने दिल्ली से पलायन किया था उनमें से मज़दूरों की वापसी काफी कम संख्या में हुई है. इसको लेकर बाजार में व्यापारी भी परेशान हैं. इसके पीछे दो कारण है पहले की मज़दूरी में गिरावट और दूसरा ठेकेदारों द्वारा काम की जानकारी न देना. इसको देखते हुए कई मज़दूरों ने गांव में ही छोटा मोटा कारोबार करना शुरू कर दिया. वहीं कई मनरेगा में मज़दूरी करने लगे.
रोज़गार खोने का डर
वर्तमान में कई संगठन मज़दूरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं फिर भी उनका विकास उस तरीके से नहीं हो पा रहा है जिस तरह से होना चाहिए. अनुराग ने बताया कि किसी भी लड़ाई को अकेले नहीं जीता जा सकता. जीतने के लिए संगठित होना बेहद जरुरी है. लेकिन इस समय मज़दूर संगठित होने से डरते हैं इसका बड़ा कारण है अस्थाई रोज़गार. उनके मन में डर है कि अधिकारों की लड़ाई में उनकी नौकरी पर खतरा हो सकता है. तो उनको जो और जितना भी मिल रहा है वह इसमें खुद रहने के लिए मज़बूर हैं.
न्यूनतम वेतन बड़ी समस्या