कानपुर: पीएम मोदी या सीएम योगी जब-जब कानपुर में आते हैं तो गंगा की बात जरूर होती है. पीएम व सीएम को जैसी प्रशासनिक अफसर गंगा की जानकारी देते हैं, वैसा भाषणों या संबोधन में सुनाई दे जाता है. लेकिन, गंगा की जो हकीकत है वह प्रशासनिक अफसरों की बताई गई कहानी से पूरी तरह विपरीत है.
अप्रैल खत्म होने को है और गंगा का सिटी साइड वाला भाग पूरी तरह से सूखने के कगार पर पहुंच गया है. गंगा की धारा सिमट रही और रेत का अंबार ही अंबार चारों ओर से तब दिखाई देता है, जब आप किसी भी घाट से गंगा को देख लें.
वहीं, जो गंगा की अविरलता और निर्मलता के ठोस दावे हैं, वह भी पूरी तरह से फेल हैं. हकीकत यह है कि गंगा में कानपुर के छह नालों का पानी सीधे तौर पर गिर रहा है, जो गंगा के आंचल को मैला कर रहा है. गंगा सूख रही है, इससे शहर में कभी भी जलसंकट की स्थिति भी हो सकती है.
गंगा से जुड़े आंकड़े
- मौजूदा समय में गंगा का जलस्तर: 357 फुट
- साल 2023 में 29 अप्रैल को गंगा का जलस्तर था: 356.5 फुट
- कुल पानी की शहर में सप्लाई होती है रोजाना: 550 एमएलडी
- भैरोघाट पंपिंग स्टेशन से जलकल को रॉ वाटर मिलता है: 200 एमएलडी
- रोजाना सिटी साइड एरिया में पानी की सप्लाई हो पा रही है: 180 एमएलडी
- गंगा को अविरल बनाने के लिए सीसामऊ नाला टैप करने में खर्च हुए: 80 करोड़ रुपये
- पनका स्थित एसटीपी निर्माण पर कुल खर्च होगा: 255 करोड़ रुपये
- डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट के तहत सीवर लाइन बिछाने में खर्च होगा: 318 करोड़ रुपये
रोज कितने पानी की जरूरत, कितनी हो रही सप्लाई: इस पूरे मामले पर जीएम जलकल आनंद दुबे ने ईटीवी भारत संवाददाता से विशेष बातचीत में बताया कि रोजाना कानपुर में 550 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है. हालांकि, अभी हम भैरोघाट पंपिंग स्टेशन से 200 एमएलडी पानी (रॉ वाटर) ले रहे हैं, जिसमें कुछ दिक्कतें आ रही हैं.