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हरियाणा के चरखी दादरी में 5 महीने से धरने पर रामलवास गांव के लोग, अवैध खनन का जता रहे विरोध - STRIKE AGAINST ILLEGAL MINING

हरियाणा के चरखी दादरी में रामलवास गांव के लोग अवैध खनन के विरोध में पिछले 5 महीने से लगातार धरने पर बैठे हुए हैं.

STRIKE AGAINST ILLEGAL MINING
अवैध खनन के खिलाफ धरना (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 2, 2025, 10:45 PM IST

चरखी दादरी: अवैध रूप से हो रहे खनन और जल दोहन के मामले में गांव रामलवास के ग्रामीण पांच माह से विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने के बाद भी धरने पर डटे हुए हैं. इसी के साथ प्रशासन की बेरुखी और खनन माफियाओं की हठधर्मिता का भी दंश झेलने को मजबूर हैं. अवैध खनन और जल दोहन से परेशान ग्रामीणों ने अब आत्मदाह करने की चेतावनी देते हुए अपना दर्द बयां किया है. ग्रामीणों ने कहा कि बार-बार प्रशासन और सरकार को मामले की जानकारी देने के बावजूद भी कोई समाधान नहीं हुआ. ऐसे में वो इसी पहाड़ में अपनी जान देने पर मजबूर होंगे.

चुनाव में एक भी वोट नहीं डाला : धरना देने वालों का आरोप है कि चरखी दादरी के गांव रामलवास की पहाड़ियों में माइनिंग कंपनियां अवैध खनन करते हुए अवैध रूप से जल दोहन कर रही है. जमीन से करीब 300 फीट नीचे तक ब्लास्टिंग करके खुदाई करते हुए जल दोहन के चलते गांव व आसपास के इलाके डार्क जोन में चले गए हैं. खेती के साथ पीने का पानी भी खराब हो गया है. इसका असर आसपास के कई गांवों में पहुंच गया है. ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले समय में करीब 50 गांवों में जमीनी पानी खत्म हो जाएगा. इस मामले में ठोस कार्रवाई की मांग को लेकर ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करते हुए एक भी वोट नहीं डाला. हालांकि प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को समझाने का प्रयास भी किया गया, बावजूद इसके ग्रामीण अपनी मांगों पर डटे हुए हैं.

अवैध खनन के खिलाफ धरना (Etv Bharat)

ग्रामीण बोले- जान दे देंगे, ठेकेदार बोला- ये इनका स्वार्थ : धरने पर बैठे रोशन लाल, धर्मपाल सिंह, इंद्रा देवी, सरोज देवी ने बताया कि माइनिंग कंपनियों की हठधर्मिता के चलते वो दंश झेलने को मजबूर है. ऐसे हालात रहे तो वे इसी पहाड़ में अपनी जान दे देंगे. बार-बार प्रशासन और सरकार को अवगत कराने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो रहा है. जमीन से 300 फीट नीचे तक अवैध खनन कर जमीनी पानी को जहर बना दिया गया है. इस मामले में जब माइनिंग कंपनी के ठेकेदार नरेंद्र सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया और कहा कि कुछ ग्रामीण अपने स्वार्थ के लिए धरना दे रहे हैं.

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