बारां:पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जिले के केलवाड़ा कस्बे को बालदा व दांता पंचायत को मिलाकर नगर पालिका घोषित कर दिया था, लेकिन सरकार बदलने के बाद सरकार ने केलवाड़ा नगर पालिका बनाने का आदेश वापस ले लिया. अब यह गांव वापस ग्राम पंचायत हो गया, लेकिन प्रशासन में अब भी असमंजस की स्थित में है और लोगों के काम नहीं हो रहे. आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि वे अपने काम को लेकर नगर पालिका में जाएं या ग्राम पंचायत में. इस समस्या को लेकर पेनावदा गांव की महिलाओं ने सोमवार को उप तहसीलदार को कलक्टर के नाम ज्ञापन दिया.
जिला कलेक्टर रोहिताश सिंह तोमर ने बताया की थोड़ा कन्फ्यूजन चल रहा था. समय लग रहा है सप्ताह 10 दिन में इन्हें ग्रामीण सुविधाएं मिलने लग जाएगी. बारां में यूं तो केंद्र सरकार ने सहरिया जनजाति उत्थान के लिए पीएम जनमन, प्रधान मंत्री आदिवासी न्याय अभियान योजना चला रखी है. इसमें सभी प्रकार की सुविधाएं देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन लोग परेशान हैं. सबसे बड़ी परेशानी नगर पालिका व ग्राम पंचायत के स्टेट्स को लेकर है. इस कारण सहरिया परिवारों को अब न तो ग्रामीण सुविधाएं मिल रही और ना ही शहरी. सहरिया जनजाति के परिवारों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी इधर उधर भटकना पड़ रहा है.