लातेहारः जंगली इलाकों में मिलने वाला पियार का फल ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. पियार का फल जहां खाने में अति स्वादिष्ट होता है वहीं फल खाने के बाद जो गुठलियां बचती हैं, उसकी कीमत भी ग्रामीणों को बाजार में काफी बेहतर मिल जाती है. कुल मिलाकर कहा जाए तो पियार का फल "आम के आम और गुठलियों के दाम" वाली कहावत को पूरी तरह चरितार्थ करता है.
पियार का फल जंगल में पाया जाने वाला एक प्रकार का फल है. इसके छोटे-छोटे पेड़ होते हैं, जिसमें भारी मात्रा में फल लगते हैं. इसके फल भी काफी छोटे होते हैं. गर्मी की शुरुआत होने के बाद जंगलों में पियार का फल आने लगते है. मई और जून महीने में यह पूरी तरह से तैयार हो जाता है. इस फल का स्वाद अत्यंत जायकेदार होता है. खट्टा मीठा स्वाद रहने के कारण लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. इस फल को ग्रामीण बाजार में छोटे-छोटे दोना (पत्ते का कटोरा) में भी बेचते हैं. हालांकि अब फल बेचने की परंपरा धीरे-धीरे कम होने लगी है और लोग इसके गुठली को ही बेचने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं.
पियार दाना से निकलता है चिरौंजी
ग्रामीण पियार की गुठलियों को खुले बाजार में 300 से लेकर 350 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेचते हैं. पियार दाना के ऊपर के छिलके को हटाया जाता है, जिसके अंदर से चिरौंजी निकलता है. चिरौंजी की कीमत खुले बाजार में 1300 से लेकर 1500 रुपए प्रति किलोग्राम होती है. ग्रामीण रंजन यादव और नरेंद्र प्रजापति ने बताया कि जंगल के नजदीक निवास करने वाले लोग जंगल में जाकर पियार के फल को तोड़ लेते हैं. इसके बाद इसके फल को खाते हैं. वहीं फल खाने के बाद जो फल के अंदर से दाना निकलता है उसे अच्छी तरह से धोकर और सुखाकर बाजार में बेच देते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में ग्रामीणों को किसी प्रकार की कोई पूंजी नहीं लगानी पड़ती सिर्फ थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है और इससे बेहतर आमदनी भी हो जाती है.
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