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ग्रामीणों के जीवन में प्यार भर रहा वन उत्पाद पियार! जानें, जंगली फल से कैसे संवर रही लोगों की जिंदगी - Piyar fruit

Villagers earning income from Piyar fruit. झारखंड को प्रकृति की कई नेमतें मिली हैं. पहाड़, नदी, झरने और जंगल तो है ही, इन जंगलों में मिलने वाले फल और फूल भी ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. इन्हीं में से एक है लातेहार के जंगलों में मिलने वाले पियार का फल, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है.

Villagers earning income from Piyar fruit found in forests of Latehar
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 18, 2024, 9:21 PM IST

लातेहारः जंगली इलाकों में मिलने वाला पियार का फल ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. पियार का फल जहां खाने में अति स्वादिष्ट होता है वहीं फल खाने के बाद जो गुठलियां बचती हैं, उसकी कीमत भी ग्रामीणों को बाजार में काफी बेहतर मिल जाती है. कुल मिलाकर कहा जाए तो पियार का फल "आम के आम और गुठलियों के दाम" वाली कहावत को पूरी तरह चरितार्थ करता है.

लातेहार के जंगलों में मिलने वाले पियार के फल से लोगों का संवरता जीवन (ETV Bharat)

पियार का फल जंगल में पाया जाने वाला एक प्रकार का फल है. इसके छोटे-छोटे पेड़ होते हैं, जिसमें भारी मात्रा में फल लगते हैं. इसके फल भी काफी छोटे होते हैं. गर्मी की शुरुआत होने के बाद जंगलों में पियार का फल आने लगते है. मई और जून महीने में यह पूरी तरह से तैयार हो जाता है. इस फल का स्वाद अत्यंत जायकेदार होता है. खट्टा मीठा स्वाद रहने के कारण लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. इस फल को ग्रामीण बाजार में छोटे-छोटे दोना (पत्ते का कटोरा) में भी बेचते हैं. हालांकि अब फल बेचने की परंपरा धीरे-धीरे कम होने लगी है और लोग इसके गुठली को ही बेचने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं.

पियार दाना से निकलता है चिरौंजी

ग्रामीण पियार की गुठलियों को खुले बाजार में 300 से लेकर 350 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेचते हैं. पियार दाना के ऊपर के छिलके को हटाया जाता है, जिसके अंदर से चिरौंजी निकलता है. चिरौंजी की कीमत खुले बाजार में 1300 से लेकर 1500 रुपए प्रति किलोग्राम होती है. ग्रामीण रंजन यादव और नरेंद्र प्रजापति ने बताया कि जंगल के नजदीक निवास करने वाले लोग जंगल में जाकर पियार के फल को तोड़ लेते हैं. इसके बाद इसके फल को खाते हैं. वहीं फल खाने के बाद जो फल के अंदर से दाना निकलता है उसे अच्छी तरह से धोकर और सुखाकर बाजार में बेच देते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में ग्रामीणों को किसी प्रकार की कोई पूंजी नहीं लगानी पड़ती सिर्फ थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है और इससे बेहतर आमदनी भी हो जाती है.

वाराणसी और कानपुर में है मंडी

व्यवसायी और चैंबर ऑफ कॉमर्स के निर्दोष कुमार गुप्ता ने बताया पियार दाना की बड़ी मंडी वाराणसी और कानपुर में है. यहां के स्थानीय व्यवसायी ग्रामीणों से पियार दाना की खरीदारी करने के बाद उसे बनारस भेजते हैं. बनारस में दान से चिरौंजी निकाली जाती है, जिसकी कीमत स्थानीय बाजार में 1300 से लेकर 1500 रुपए प्रति किलो है. उन्होंने बताया कि चिरौंजी का मुख्य उपयोग मिठाई बनाने के काम में होता है. इसके अलावा इस सूखे मेवे के रूप में भी लोग इस्तेमाल करते हैं.

कारोबारी निर्दोष कुमार गुप्ता बताते हैं कि इसका स्वाद काफी अच्छा होता है और यह काफी शक्ति वर्धक भी है. ठंड के दिनों में लोग इसे खाना ज्यादा पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि लातेहार में पियार दाना का उत्पादन 2000 क्विंटल से भी अधिक होता है. पियार दाना ग्रामीणों के लिए वरदान के समान है पर जंगलों में धीरे-धीरे इसके पेड़ कम होना चिंता का विषय बनता जा रहा है.

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