मेरठ: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरे का पर्व आज है. आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को लंका से मुक्त कराया था. मेरठ यानी रावण की ससुराल में दामाद के वध को तैयारी पूरी हो चुकी हैं. यूपी में सबसे ऊंचा पुतला मेरठ में ही तैयार किया गया है.
यूं तो देशभर में इस पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वर्षों से परम्परा है कि इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है. ऐसे में यूपी में हर जिले में रावण के पुतले का दहन होता है.
मेरठ को रावण की ससुराल कहा जाता है. क्योंकि यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका है. यहां के कैंट क्षेत्र के भैंसाली ग्राउंड पर होने वाली रामलीला बेहद खास मानी जाती है. यहां इस बार 130 फीट का रावण का पुतला दहन किया जाएगा. रावण के पुतले के अलावा हर साल रावण के भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाथ का पुतला भी तैयार किया जाता है और उनका भी दहन किया जाता है.
रावण, उसके भाई और पुत्र के पुतले को तैयार करने में लगे कारीगर असलम बताते हैं कि इस बार रावण के पुतले को 130 फीट का तैयार किया गया है. वहीं कुम्भकरण का पुतला 120 फीट का है और रावण के पुत्र मेघनाद का पुतला 110 फीट का तैयार किया गया है.
असलम यह भी दावा करते हैं कि प्रदेश में इससे बड़ा रावण का पुतला कहीं नहीं तैयार होता. असलम कहते हैं कि यह सभी यूपी में सर्वाधिक ऊंचाई वाले पुतले हैं. बता दें कि मेरठ कैंट में भैंसाली के ग्राउंड पर जिस जगह पर रावण दहन औऱ रामलीला का मंचन होता है, उस स्थान का भी अपना अलग ही महत्व है.
रामलीला संचालन से जुड़े दिनेश ऐरन बताते हैं कि पूर्व में इस मैदान की जगह पर एक तालाब हुआ करता था और राजा मयदानव की बेटी मंदोदरी यहां तालाब में स्नान के लिए आया करती थीं. इसके बाद वह भगवान भोलेनाथ के नजदीक में बने मंदिर में पूजा अर्चना किया करती थीं. वर के रूप में रावण को उन्होंने मांगा था. मान्यता यह भी है कि इसी स्थान पर रावण और मंदोदरी की पहली मुलाकात भी हुई थी.