प्रयागराज : महाकुंभ में गंगाजल की शुद्धता पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सवाल उठाए जाने पर इस पर बहस छिड़ गई है. पद्मश्री डॉक्टर अजय सोनकर पहले ही इसे खारिज कर चुके हैं. अब उन्होंने दावा किया है कि संगम के गंगाजल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया नहीं पनप सकता है. मेले के दौरान गंगाजल का तापमान 10 से 15 डिग्री ही रहा. जबकि 20 डिग्री से ऊपर तापमान होने पर यह बैक्टीरिया पनपता है. उन्होंने गंगाजल को पीकर भी दिखाया.
पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने लाखों श्रद्धालुओं के सामने गंगाजल को पीया. यह साबित करने की कोशिश भी की कि जल में ऐसा कोई हानिकारक बैक्टीरिया नहीं है. गंगाजल की विशेषता और मौजूदा तापमान इसे बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुपयुक्त बनाते हैं. डॉ. अजय ने बताया कि फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पानी के 20 डिग्री सेल्सियस तापमान से कम होने पर पूरी तरह से निष्क्रिय रहता है. जबकि पूरे महाकुंभ के दौरान गंगाजल का तामपान 10 से 15 डिग्री तक ही रहा है.
श्रद्धालुओं के बीच नापा गंगाजल का तापमान : संगम के विभिन्न घाटों पर वैज्ञानिक ने श्रद्धालुओं के बीच गंगाजल का तापमान भी जांचा. इसी के साथ यह जानकारी दी कि गंगाजल का तापमान बैक्टीरिया के लिए प्रतिकूल है. बैक्टीरिया को पनपने के लिए 35 से 40 डिग्री तापमान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि गंगा की शुद्धता पर कोई संदेह नहीं है. गंगाजल अपने विशेष गुणों के कारण सदियों से शुद्ध माना जाता रहा है.
डॉ. सोनकर ने बताया कि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि मौजूदा ठंडे जल में फीकल कोलीफॉर्म जीवित रहना संभव नहीं है. गंगाजल स्नान व आचमन के लिए पूरी तरह उपयुक्त है. गंगाजल हमारे शरीर के विभिन्न रोगाणुओं को ठीक करने में भी मदद करता है.
जानिए क्या है केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट : सीपीसीबी की ओर से एनजीटी की भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि गंगाजल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट से बहुत ज्यादा हैं. इसके बाद एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाई थी.
क्या है कोलीफॉर्म बैक्टीरिया : यह बैक्टीरिया मनुष्यों के अलावा जानवरों की आंतों में भी पाया जाता है. पानी में इनका होना पानी में प्रदूषण की ओर इशारा करता है. पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए फीकल कोलीफॉर्म की जांच होती है. इस बैक्टीरिया से जी मिचलाना, उल्टी, दस्त समेत अन्य संक्रामक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.
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