करनाल:सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और एकादशी का व्रत रखा जाता है. अपने दुश्मनों पर विजय पाने के लिए या किसी भी अपने काम में सफलता प्राप्त करने के लिए इस व्रत को खासतौर पर रखा जाता है. रावण पर विजय प्राप्त करने के पहले भगवान श्री राम ने विजया एकादशी का व्रत किया था.
विजया एकादशी 2024 का शुभ मुहूर्त: पंडित रामराज मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. 1 साल में 24 एकादशी आती है और हर महीने में दो एकादशी होती है. एक एकादशी कृष्ण पक्ष में आती है और एक एकादशी शुक्ल पक्ष में आती है. फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाले एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा. विजय एकादशी का आरंभ 6 मार्च को सुबह 6:30 से शुरू होगा और इसका समापन अगले दिन सुबह 4:13 पर होगा.
विजया एकादशी का महत्व: पंडित रामराज मिश्रा के अनुसार विजया एकादशी का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है. क्योंकि जब भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपना बनवास काट रहे थे तब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था. भगवान श्री राम लंका में जाने के लिए समुद्र पार करना चाहते थे लेकिन पार नहीं कर पा रहे थे. उस दौरान भगवान श्री राम हताश होकर ऋषि वकदालभ्य के पास विजय प्राप्ति कैसे करें, यह पूछने के लिए गए. ऋषि वकदालभ्य ने फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की विजय एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा. भगवान श्री राम ने इस व्रत को रखा और युद्ध में विजय प्राप्त कर पाए. तब से ही यह मान्यता चली आ रही है कि अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने के लिए इस एकादशी का व्रत रखा जाता है. साथ ही अगर किसी के जीवन में कोई अड़चन हो तभी भी इस व्रत को रखा जाता है. भगवान विष्णु की कृपा से उसके घर में सुख समृद्धि आती है और वह अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है. जो भी काम उसके अधूरे होते हैं वे सब पूरे हो जाते हैं.