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औरंगजेब ने 11वीं सदी के इस मंदिर को 11 तोपों से उड़ाया था, आज भी बंद है ताला, साल में एक दिन होती है पूजा - vidisha Vijay Mandir

विदिशा में स्थित ऐतिहासिक विजय मंदिर का नाग पंचमी के दिन ताला खुलवाने को लेकर युवाओं के ग्रुप ने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा है. इसके अलावा उन्होंने इस स्थल को हिंदूओं को सौंपे जाने की भी मांग की है.

VIDISHA VIJAY MANDIR
ताले में बंद विजय मंदिर (ETV Bharat Graphics)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 5, 2024, 6:26 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 6:44 PM IST

विदिशा: मध्य प्रदेश के विदिशा में कई ऐतिहासिक धरोहर हैं, जो आज भी अपनी पहचान लिए खड़ी हैं. इन्हीं ऐतिहासिक धरहरों में महत्वपूर्ण विजय मंदिर भी है. यह मंदिर हिन्दूओं की आस्था का प्रतीक है. लेकिन इस मंदिर में पिछले 72 सालों से ताला लगा हुआ है. 1991 में इस पर दो संप्रदायों को अपने अधिकार जताने के चलते भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसके बारे शोध शुरू किया था. तभी से आज तक यह मंदिर ASI के ही कब्जे में है और इसमें ताला लगा हुआ है. साल में एक बार नागपंचमी के दिन लोग यहां पूजा करने आते हैं. उस दिन भी मंदिर का ताला नहीं खुलता बाहर से ही लोग पूजा करके चले जाते हैं.

ताले में बंद विजय मंदिर (ETV Bharat)

विदिशा विजय के उपलक्ष्य में हुआ था निर्माण

विजय मंदिर का निर्माण परमार काल के शासक राजा कृष्ण के प्रधानमंत्री चालुक्य वंशी वाचस्पति ने 11वीं सदी में विदिशा विजय के उपलक्ष्य में कराया था. मंदिर का निर्माण परमार शैली के अनुरूप भव्य विशाल पत्थरों पर अंकित परमारकालीन राजाओं की गाथाओं से किया गया है. यह मंदिर तत्कालीन समय में विश्व के सबसे विशाल और विराट मंदिरों में शामिल था. बताया जाता है कि यह मंदिर करीब डेढ़ सौ गज ऊंचा था. मुगल शासकों को मंदिर की भव्यता और लोगों की आस्था खटकती रहती थी.

इसी के तर्ज पर बना है नया संसद भवन (ETV Bharat)

इसलिए निर्माण के 2 सदी बाद ही मुगल शासक इल्तुतमिश ने 1233-34 में इस पर हमला कर दिया. जिसमें मंदिर के साथ-साथ ही विदिशा नगर को भी लूट लिया था. तत्कालीन राजा ने 1250 में इसका पुनरोद्धार कराया. लेकिन सन 1290 में एक और मुगल शासक की नजर लग गई. अलाउद्दीन खिलजी के मंत्री मलिक काफूर ने इस मंदिर और विदिशा नगर पर आक्रमण कर दिया. उसने मंदिर को छतिग्रस्त कर दिया, सारी मूर्तियों को नष्ट कर दिया और 8 फीट की एक अष्टधातु की मूर्ति लूटकर चला गया. इस मंदिर पर मुगल शासकों के आक्रमण का सिलसिला यहीं नहीं रुका इसके बाद भी कई हमले हुए.

विशाल मंदिर हो चुका है खंडहर (ETV Bharat)

औरंगजेब ने 11 तोपों से उड़ा दिया था

वर्ष 1459-60 में मंदिर पर तीसरा हमला हुआ. मांडू के शासक महमूद खिलजी ने मंदिर में जमकर लूटपाट की. इसके बाद भी हमलावरों की भूख शांत नहीं हुई और 1532 में मुगल शासक बहादुर शाह ने हमला किया और सब कुछ लूट ले गये. चार हमले झेलकर भी अपनी विरासत और पहचान को लिए मजबूती से खड़े इस मंदिर को आखिरकार थक हारकर मुगल शासक औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी (करीब 1682 में) इसे 11 तोपों से उड़ा दिया और लूटपाट कर मूर्तियों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था. मंदिर के सभी भागो को खंडित-विखण्डित करके औरंगजेब ने इसको मस्जिद का स्वरूप दे दिया.

मंदिर के अंदर का हिस्सा (ETV Bharat)

1965 में नमाज पढ़ने पर लगा बैन

भारत की स्वतंत्रता के बाद 1947 में हिन्दू महासभा ने इसके अधिकार को लेकर सत्याग्रह आंदोलन शुरु किया था. यह आंदोलन 1964 तक चला. हालांकि इस मंदिर में 1965 तक ईद की नमाज अदा की जाती रही. 1965 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ द्वारका प्रसाद मिश्र ने यहां नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया. हिन्दू महासभा ने आंदोलन तो बंद कर दिया लेकिन अपने कूटनीतिक प्रयास लगातर जारी रखा.

विजय मंदिर (ETV Bharat)

खुदाई में मंदिर के प्रमाण मिले थे

साल 1991 में एक रात जमकर बारिश हुई जिससे मंदिर की एक दीवार ढह गई. जिससे उसमें दबी सैकड़ों मूर्तियां बाहर आ गईं. इसके बाद हिंदू पक्ष अपने दावों को लेकर और आक्रामक हो गया. बढ़ते दबाव के चलते सरकार ने पुरातत्व विभाग को मंदिर की खुदाई का आदेश दे दिया. तीन साल तक चली एएसआई की खुदाई में यहां मंदिर होने के सैकड़ों प्रमाण मिले. लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका और तभी से यह मंदिर पुरातत्व विभाग के कब्जे में है और यहां पर ताला लगा हुआ है.

प्राचीन विजय मंदिर (ETV Bharat)

70 सालों से मंदिर के बाहर हो रही पूजा

विदिशाविजय मंदिर आंदोलन के सबसे पुराने सेनानी पंडित नंदकिशोर शास्त्री जो बीते 70 सालों से विजय मंदिर के मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व कर रहे. उनका कहना है कि, 'आखिर मंदिर का दरवाजा क्यों नहीं खोला जा रहा है. साल में सिर्फ एक दिन पूजा के लिए मंदिर खुलता है वो भी मुख्य भवन का ताला नहीं खुलता बाहर से ही पूजा करनी पड़ती है. नम आंखों से धर्म आचार्य पंडित नंदकिशोर शास्त्री ने कहा कि, आखिर क्या मजबूरी है कि हमें आज भी 70 वर्षों से ताले के बाहर से ही पूजा अर्चन करना पड़ रही है.'

मंदिर के अंदर का हिस्सा (ETV Bharat)

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72 सालों से लगा है ताला (ETV Bharat)

युवाओं ने ताला खुलवाने सहित कई मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

युवाओं के एक ग्रुप ने कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य को मंदिर का ताला खुलवाने के लिए ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम दिया है. पंकज भार्गव ने ज्ञापन में बताया कि, 'बीजामंडल (विजय मंदिर) हमारे क्षेत्र का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. यहां श्रद्धालु नियमित रूप से पूजा करने की इच्छा रखते हैं. किले के अंदर के पश्चिमी भाग में विजय मन्दिर है जिसके नाम के कारण ही विदिशा का नाम भेलसा पड़ा था. प्राचीन काल से देश के विशालतम मन्दिरों में इसकी गणना की जाती रही है. इस पर कई आक्रांतों ने आक्रमण किया जिससे इसका पीछे का हिस्सा ढह गया.' अब उन्होंने मांग की है कि, 'इस वर्ष नागपंचमी पर मंदिर का ताला खोलकर पूजा करने की अनुमति दी जाए. इलके अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस मंदिर को मुक्त करवाकर पुनः हिंदूओं को सौंपा जाए और इसका जीर्णोद्धार करके फिर से मंदिर बनवाया जाए.'

Last Updated : Aug 5, 2024, 6:44 PM IST

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