विदिशा।मध्यप्रदेश व विदिशा जिले मेंभीषण गर्मी पड़ रही है, लेकिन शहर में मटका बेच रहे दुकानदार फुरसत में बैठे हैं. इतनी गर्मी में भी उनके मटकों की बिक्री ठप्प है. गिने चुने लोग सिर्फ गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय लोग ही मटका खरीद रहे हैं. इसका प्रमुख कारण वाटर कैम्पर का चलन हैं. आजकल आम नागरिक भी ठंडे और आरओ से साफ पानी की चाहत में 20 रुपए की कैम्पर बुलवा लेता है. जिसका असर अब सीधा मटकों की बिक्री पर पड़ रहा है. दुकानदारों का कहना है कि मटकों की बिक्री कोविड के समय से ही मंदी है. उस समय के मटकों का स्टॉक अभी भी रखा है. धीरे धीरे उन्हीं को बेच रहे हैं.
भीषण गर्मी के बाद भी नहीं बिक रहे मटके
मटका दुकानदार शुभम प्रजापति का कहना है कि "भीषण गर्मी तो है लेकिन ग्राहकी कम हैं. ग्राहक पहले की अपेक्षा अब कम मटके खरीदने लगे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण कैंपर और फ्रिज हैं. आज के दौर में लोग मटके का पानी पीना अपने स्टैंडर के हिसाब से नहीं समझते हैं. वैसे मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही सही रहता है. फ्रिज के पानी से प्यास भी नहीं बुझती. वहीं मटके का पानी स्वादिष्ट भी होता है और प्यास भी बुझ जाती है."
घरों में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल हुआ कम
बता दें कि डॉक्टर भी लोगों को मटके का उपयोग करने की सलाह देते हैं. मिट्टी के मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए अच्छा व लाभदायक होता है. आज के समय में मिट्टी के बर्तनों का चलन कम होता जा रहा है. मिट्टी के बर्तनों का सिर्फ यूज पूजा पाठ में ही बचा है. आम जीवन में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल कम होता जा रहा है. पहले हर घर में मिट्टी के बर्तनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होता था. लोगों का मानना था कि मिट्टी के बर्तनों में खाना खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता था और खाना शद्ध रहता है.
कैंपरों के चलन से मटकों की बिक्री घटी