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2000 साल पुराना मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर, जहां आराधना करने से होता है चमत्कार - Vidisha Nishan Yatra

10 सालों से नवरात्रि पर निकाली जा रही मां अन्नपूर्णा की निशान यात्रा, आसपास के राज्यों से भी आते हैं श्रद्धालु

VIDISHA MAA ANNAPURNA DEVI
निशान यात्रा में देवी स्वरूप निकली कन्याएं (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 7, 2024, 1:12 PM IST

विदिशा:जिले में 200 फीट उंची राजेंद्र गिरी लुहांगी पहाड़ी पर 2 हजार साल पुराना मां अन्नपूर्णा का सिद्ध मंदिर है. पिछले 10 सालों से नवरात्रि के अवसर पर मां अन्नपूर्णा सेवा समिति के सहयोग से निशान यात्रा का आयोजन किया जा रहा है. इस साल रविवार को इसकी शुरुआत करते हुए चिंतामणि गणेश मंदिर ढंडापुरा से निशान यात्रा निकाली गई.

देवी स्वरूप में निकली कन्याएं

निशान यात्रा नगर के बड़ा बाजार होते हुए तिलक चौक, निकासा, माधवगंज के मुख्य मार्ग होकर सिद्ध मां अन्नपूर्णा के दरबार लुहांगी पर्वत पहुंचीं. यहां मां अन्नपूर्णा को निशान भेंट किया गया. इस यात्रा में कन्याएं देवी मां के स्वरूप में घोड़े पर सवार थी. समिति के अध्यक्ष प्रशांत खत्री ने बताया, " इसमें शहर ही नहीं आसपास के तमाम जगहों से श्रद्धालु सम्मिलित हुए हैं. इस यात्रा को लेकर पुलिस द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी."

नवरात्रि पर निकली निशान यात्रा (ETV Bharat)

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मां की आराधना से कभी नहीं होती धन धान्य की कमी

राजेंद्र गिरी पहाड़ी के पत्थर लोहे के समान कठोर हैं. इसलिए इसे लोहंगी कहा जाने लगा. राजेंद्र गिरी लुहांगी पहाड़ी पर धन-धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर स्थित है. माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा देवी की आराधना से धन की कमी नहीं होती है. मां अन्नपूर्णा को आन्नदा, शाकुंभरी देवी, मां जगदंबा का रूप भी माना जाता है. मां अन्नपूर्णा मार्गशीर्ष पूर्णिमा को प्रकट हुई थीं. इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मां अन्नपूर्णा का प्रकट उत्सव मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने भिक्षु का रूप धारण किया था और पार्वती ने अन्नपूर्णा का अवतार लिया था. भगवान शिव ने भिक्षा में अन्न मांगा था और मां अन्नपूर्णा ने उन्हें अन्न दिया था. इस अन्न को भगवान ने शिव ने पृथ्वी वासियों को बांट दिया था. इसलिए मां को धन धान्य की देवी कहा जाता है.

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