विदिशा/गंजबासौदा. शासन प्रशासन द्वारा जहां एक ओर नल जल और घर-घर जल योजना चलाई जा रही है तो दूसरी ओर सैकड़ों ऐसे गांव हैं जो पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. ग्राम पंचायत दाऊद बासौदा के मालूद गांव के आदिवासी तो दुर्गंध मारते पानी को पीने मजबूर हैं. बस्ती के लोग जिस एक तालाब से पानी लाते हैं, वह पानी रुका हुआ है. तालाब मछली पालन की वजह से दुर्गंध मारता है और तो और लोग इसका उपयोग नहाने और कपड़े धोने में भी करते हैं. इस गंदे पानी को पीने से लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं, पर जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक किसी को इनकी सुध नहीं है.
गंदा पानी पीने से गंभीर बीमारियों का खतरा
परेशान ग्रामीणों ने सरपंच सचिव से लेकर विधायक और प्रशासन के कई अधिकारियों से गांव में ट्यूबवेल या हेड पंप लगाने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी सुनवाई आज तक पूरी नहीं हुई है और यही वजह है कि ग्रामीण गंदा पानी पी रहे हैं. सुरेशबाई आदिवासी ने बताया कि कई बार तो पानी में मृत जानवर भी डूबे रहते हैं और कई बार लोग शौच के लिए भी यहां आ जाते हैं. ऐसा पानी पीने से गंभीर बीमारियां भी फैल रही हैं.
वोट हम भी डालते हैं, तो सुविधाएं क्यों नहीं? : ग्रामीण
भुवन आदिवासी बताते हैं कि सरपंच ने बस्ती में हैंड पंप लगाने का आश्वासन दिया था लेकिन आजतक गांव में हैंडपंप नहीं लगा. गांव के सभी लोग वोट डालते हैं लेकिन इन्हें सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता. गर्मी के दिनों में इनके प्यासे कंठ गंदे पानी से प्यास बुझा रहे हैं और सरकार के बड़े-बड़े वादे खोखले साबित हो रहे हैं.