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अलवर का वेद विद्यालय: प्राचीन परंपराओं के साथ आधुनिक सफलता की ओर, कई युवाओं के सपने हुए साकार - VEDA EDUCATION

अग्रेजी माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की होड़ के बीच अलवर का संस्कृत वेद विद्यालय आज भी पारंपरिक तरीके से वैदिक शिक्षा दे रहा है.

अलवर का वेद विद्यालय
अलवर का वेद विद्यालय (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 30, 2024, 6:32 AM IST

अलवर : आज के समय में शिक्षा हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. माता-पिता अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भेज रहे हैं, ताकि उनका भविष्य सुनहरा हो सके. वहीं, अलवर का एक संस्कृत वेद विद्यालय आज भी पुरानी पद्धतियों को अपनाते हुए युवाओं के सपनों को साकार करने में मदद कर रहा है. अलवर के मधुसूदन वेद विद्यालय से निकले कई छात्र सरकारी नौकरी प्राप्त कर चुके हैं. यहां तक कि अलवर ही नहीं, अन्य राज्यों के छात्र भी इस विद्यालय में पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं. यह वेद विद्यालय 2004 में स्थापित हुआ था और 2009 में इसे मान्यता प्राप्त हुई.

21 छात्रों से हुई थी शुरुआत : वेंकटेश दिव्य धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि जब कोई छात्र वेद शिक्षा ग्रहण करता है, तो उसका नैतिक और चारित्रिक पतन नहीं होता. वेद विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को यह भी सिखाया जाता है कि कम सुख-सुविधाओं में कैसे जीवन जी सकते हैं. उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2004 में शहर के काला कुआं स्थित रामकृष्ण कॉलोनी में मधुसूदन वेद विद्यालय की शुरुआत हुई. शुरुआत में इस विद्यालय को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उस दौरान विद्यालय चलाने के लिए उन्होंने शहरभर में झोली फैलाकर एक परिवार से एक रुपया एकत्रित किया और एक गुल्लक में जमा किया. इस विद्यालय की शुरुआत 21 छात्रों से हुई थी और आज 100 से ज्यादा छात्र यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

अलवर के संस्कृत वेद विद्यालय में वैदिक शिक्षा (ETV Bharat alwar)

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कइयों को मिली नौकरी : स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि 2009 में इस विद्यालय को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मान्यता प्राप्त हुई. उन्होंने यह भी बताया कि यह विद्यालय पारंपरिक तरीके से वेद शिक्षा प्रदान कर रहा है. यहां केवल अलवर के ही नहीं, बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों से छात्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं. कई छात्र अब सरकारी विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. स्वामी सुदर्शनाचार्य ने बताया कि मधुसूदन वेद विद्यालय से पढ़े छात्र सरकारी सेवाओं में चयनित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि 2008 में झारखंड के एक विद्यार्थी का सरकारी महकमे में चयन हुआ था. इसके बाद कई छात्र धर्म गुरु के पद पर और शिक्षक के रूप में भी चयनित हुए हैं. वेद शिक्षा ग्रहण करने के बाद छात्र किसी भी अन्य क्षेत्र में भी अपना भविष्य बना सकते हैं.

स्वामी सुदर्शनाचार्य ने कहा कि लोगों के मन में यह भ्रांति है कि वेद विद्यालय से केवल पांडित्य और कर्मकांड ही किए जा सकते हैं, जबकि वेद शिक्षा प्राप्त करने के बाद कोई भी छात्र किसी भी क्षेत्र में अपना करियर बना सकता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि वेद विद्यालय से पढ़े कई छात्र आज अपनी कंपनियां चला रहे हैं और कई छात्रों ने वापस आकर अब वर्तमान छात्रों को शिक्षा देना शुरू कर दिया है. उन्होंने यह भी बताया कि फिजी के दूतावास में एक छात्र पूजा-पाठ और कर्मकांड करवा रहा है. भारत में करीब 100 मंदिरों में वेद विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र पूजा और भगवद प्रवचन कर रहे हैं.

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छात्रों को नि:शुल्क सुविधाएं : स्वामी सुदर्शनाचार्य ने यह भी बताया कि इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. छात्रों की आयु न्यूनतम 12 वर्ष और अधिकतम 14 वर्ष होनी चाहिए. इसके अलावा, छात्रों को भारतीय पारंपरिक परिधान जैसे धोती और कुर्ता पहनना अनिवार्य है. विद्यालय में भगवान के रसोई से बने भोग को ही छात्रों को दिया जाता है. हालांकि, समय-समय पर छात्रों को अन्य स्नैक्स भी तैयार कर दिए जाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को सभी सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं और सर्दियों में गर्म वस्त्र भी वितरित किए जाते हैं.

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