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BHU के शोध में हुआ खुलासा, वरुणा नदी के पानी में 1000 प्रदूषक तत्व मिले - VARUNA RIVER POLLUTANT

जाने वाले मल-मूत्र और गंदगी से नदी में प्रदूषक तत्वों की मात्रा लगातार बढ़ रही हैं.

वरुणा नदी
वरुणा नदी (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 7, 2025, 3:21 PM IST

वाराणसी:यूपी केवाराणसी की वरुणा और अस्सी नदी तमाम कोशिशों के बाद भी अपने अस्तित्व के संकट के लिए जूझ रही है. बाहर से नदी में जाने वाले मल-मूत्र और गंदगी से नदी में प्रदूषक तत्वों की मात्रा लगातार बढ़ रही हैं. यह प्रदूषक तत्व जलीय जीवों के जीवन के साथ अब मनुष्यों के सेहत को भी प्रभावित कर सकते हैं.

इसको लेकर के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु वैज्ञानिकों ने शोध किया है, जिसमें उन्होंने पाया है कि बनारस के वरुणा नदी के जल में करीब 1000 प्रदूषक तत्व मौजूद हैं. इनका सीधा असर उसमें रहने वाले जलीय जीवों पर तो पड़ ही रहा है, लेकिन यदि व्यक्ति भी उनके जल का सेवन करेंगे तो उनमें भी प्रजनन क्षमता के प्रभावित होने के साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

वरुणा नदी का जल लगभग 1000 प्रदूषक तत्वों से भरा (Video Credit; ETV Bharat)



इस बारे में जंतु विज्ञान के प्रोफेसर राधा चौबे ने बताया कि बनारस की पुरातन नदी अस्सी और वरुणा अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. ऐसे में पहली बार बड़ी मात्रा में इन दोनों नदियों में खतरनाक प्रदूषण तत्वों की पहचान हुई है, जिनकी संख्या 929 है.

उन्होंने बताया कि प्रदूषक तत्व नदियों को और भी ज्यादा जहरीला बना रहे हैं. जिससे जलीय जीवन के साथ इंसानों के लिए भी खतरा है. उन्होंने बताया कि हमारी टीम ने दोनों नदियों से 50 से अधिक नमूने एकत्र किए थे, जहां उनका टॉक्सिक ओजिनोमिक अध्ययन किया गया, जिसमें हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं.

उन्होंने बताया कि अध्ययन में पाया गया कि वरुणा नदी में 580 और अस्सी नदी में 349 प्रदूषण कॉम्पोनेंट पाए गए हैं. यह कंपोनेंट टर्ट एल्काईलफ़ेनाल, आक्टाइलफेनोल्स, ब्यूटाइलफेनोल्स, हेक्साडेसिलफेनोल्स समेत कई जहरीले रसायन है, जिससे न सिर्फ जलीय जीवों में मुख्य तौर पर मछलियों में प्रजनन शक्ति कम हो रही है, बल्कि यदि इस केमिकल युक्त जल का मनुष्य भी सेवन करेंगे तो यह उनके भी प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डालेगा. उन्होंने बताया कि इन खतरनाक केमिकल की मौजूदगी के कारण कई मछलियों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है, यह प्रदूषण नदियों में कई प्रकार से जाते हैं.



गंगा के जल को भी कर रहे प्रदूषित:उन्होंने कहा कि, यदि हम नदियों में मिलने वाले खतरनाक प्रदूषण तत्वों की बात करें तो इनमें दवाएं, अल्काईल, फिनोल, चयापचय,अल्कोहल वसायुक्त अम्ल शामिल है. वो कहती हैं कि बनारस की नदियां प्राचीन होने के साथ-साथ गंगा नदी से भी जुड़ी हुई है. इस वजह से इनमें बहाए जाने वाले सीवरेज मल मूत्र व अन्य केमिकल अप्रत्यक्ष रूप से गंगा में भी जाते हैं.

इसलिए कहीं ना कहीं गंगा भी इन प्रदूषण तत्वों के चपेट में आ रही हैं. ऐसे में यदि जल्दी इनका रोकथाम नहीं किया गया, तो यह मछलियों के साथ मानव शरीर के लिए भी बेहद खतरनाक होंगी. यह न सिर्फ प्रजनन क्षमता को कम करेगी, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लिए भी जिम्मेदार होगी.

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