वाराणसी :महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने नई शिक्षा नीति के तहत यूजी और पीजी कक्षाओं में 4 क्रेडिट की शोध परियोजनाओं को अनिवार्य कर दिया है. काशी विद्यापीठ से संबद्ध वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही के महाविद्यालयों ने शोध परियोजना को लेकर अपनी मुहर लगा दी है. इसके लागू होने के बाद स्नातक स्तर पर तृतीय वर्ष के पांचवें व छठवें सेमेस्टर और पीजी के विद्यार्थियों के लिए हर सेमेस्टर में रिसर्च प्रोजेक्ट करने होंगे. छात्र को तीसरे साल में लघु शोध परियोजना और चौथे व पांचवें वर्ष में वृहद शोध परियोजना करनी होगी.
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एके त्यागी ने बताया कि स्नातक के लिए छात्र के चुने गए तीसरे वर्ष के दो मुख्य विषयों में से किसी एक विषय पर और पीजी स्तर के मुख्य विषय से संबंधित विषय पर रिसर्च होगा. ये अंतरविषयी भी हो सकता है. यह इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग की रिपोर्ट, इंटर्नशिप की रिपोर्ट या सर्वे वर्क आदि के रूप में हो सकता है. शोध परियोजना एक सुपरवाइजर के निर्देशन में पूरी की जाएगी. साथ ही एक अन्य किसी उद्योग, कंपनी, तकनीकि संस्थान या शोध संस्थान के भी सुपरवाइजर हो सकते हैं. इन्हें भी शामिल किया जा सकता है.
मूल्यांकन प्रक्रिया :यूजी तृतीय वर्ष में पांचवें और छठवें सेमेस्टर में की गई शोध परियोजना का संयुक्त मूल्यांकन सातवें सेमेस्टर के अंत में एक आंतरिक और विश्वविद्यालय द्वारा नामित बाह्य परीक्षक द्वारा जमा किए गए शोध प्रबंध की मौखिकी पर किया जाएगा. इसके लिए 100 अंक निर्धारित होंगे. पीजी में शोध परियोजनाओं का मूल्यांकन दूसरे और चौथे सेमेस्टर में होगा. पीजी प्रथम वर्ष के पहले और दूसरे सेमेस्टर में किए शोध का संयुक्त मूल्यांकन दूसरे सेमेस्टर के अंत में 100 अंकों में किया जाएगा. मूल्यांकन जो शोध प्रबंध विद्यार्थियों ने जमा किया है, उस पर आधारित होगा.