वाराणसी : प्रकाश पर्व दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर को है. काशी विद्वत परिषद और वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित ज्योतिष विभाग ने भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने की परंपरा को फलदायी बताया है. फिलहाल पंच दिवसीय पर्व के बाबत कुछ पेंच है. इस बाबत काशी विद्वत परिषद के पूर्व महामंत्री और ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने भ्रम को दूर किया है. दीपावली पर पूजन का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर को स्थिर लग्न वृषभ सायं 6:27 बजे से रात 8:23 बजे तक है. यह सबसे उत्तम मुहूर्त है. इसके बाद स्थिर लग्न सिंह मध्य रात्रि 12:53 बजे से भोर 3:09 बजे तक होगा.
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि पंच दिवसीय पर्व अपने आप में महत्वपूर्ण है, लेकिन इस बार 5 दिन नहीं, बल्कि प्रकाश पर्व 6 दिन का होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन अमावस्या का होना है. 31 तारीख को दीपावली मनाई जाएगी और 1 तारीख को स्नान दान की अमावस्या होगी. इस दिन कोई त्यौहार तो नहीं है, लेकिन स्नान और दान पुण्य का विधान उत्तम है.
पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार 29 अक्टूबर को धन त्रयोदशी धन्वंतरि जयंती, 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती और नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावली मनाई जाएगी. 31 अक्टूबर को दीपावली और महालक्ष्मी और गणेश का पूजन का विधान है. एक नवंबर को कोई पर्व नहीं है, लेकिन अमावस्या का मन शाम को 5:13 बजे तक होने की वजह से इस दिन दान पुण्य और स्नान करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है. इसके अलावा 2 अक्टूबर को वाराणसी के अतिरिक्त हर स्थान पर गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा. 2 अक्टूबर को ही अन्नकूट का पर्व संपन्न होगा. 3 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा और भाई दूज के अलावा यम द्वितीया का पर्व मनाया जाएगा.
घनतेरस : धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इस दिन धनवंतरि जयंती का भी त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन शाम में माता लक्ष्मी और धन कुबेर का पूजन करने का विधान है. इसके लिए शाम 6:35 बजे से रात 8:31 बजे तक पूजन पाठ संपन्न करना होगा यह स्थिर लग्न है. इसके अलावा धन त्रयोदशी वाले दिन अपने घर के ड्योढ़ी पर चौमुखा मुख वाला दीपक भी जलाना होगा.
नरक चतुर्दशी व हनुमान जयंती : 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी व हनुमान जयंती मनाई जाएगी. क्योंकि हनुमान जी का जन्म वृषभ लग्न में हुआ था. इसलिए शाम 4:54 बजे से 6:31 बजे तक हनुमान जन्म व पूजन संपन्न करना होगा.
दीपावली और महालक्ष्मी-गणेश पूजून : 31 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष व्यापिनी होने की वजह से इसी दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा. शाम 6:27 बजे से रात 8:23 बजे तक दृश्य लग्न स्थिर होगा. इस समय मां लक्ष्मी का पूजन विशेष फलदाई माना जाता है.
अमावस्या : दीपावली को लेकर भ्रम है. इसलिए 1 नवंबर को भी बहुत जगह पर दीपावली मनाई जाएगी, लेकिन 1 नवंबर को कोई भी त्योहार ना होने की वजह से इस दिन पांच दिवसीय पर्व के क्रम में अमावस्या का दान और स्नान पूरा किया जाएगा और शाम को दीपक भी जलाए जाएंगे, लेकिन दीपावली का मान 31 अक्टूबर को ही होगा.
अन्नकूट व गोवर्धन पूजा : 2 नवंबर को वाराणसी को छोड़कर बाकी जगहों पर गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा और मंदिरों में अन्नकूट के साथ घरों में भी अन्नकूट का भोग भगवान को अर्पित किया जाएगा. इस दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की परंपरा का निभाई जाएगी.
भाई दूज व यम द्वितीया : 3 नवंबर को इस पांच दिवसीय पर्व के क्रम में भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा. भाई अपनी बहनों के घर जाकर टीका लगवाएंगे और भोजन ग्रहण करेंगे. इसी दिन हम द्वितीया का भी त्योहार मनाया जाएगा. शाम को घर की दहलीज पर यम के निमित्त चार मुख वाला दीपक भी जलाया जाएगा, ताकि अकाल मृत्यु से के डर से मुक्ति मिल सके.