वाराणसी: ज्ञानवापी में 1991 के मूलवाद को लेकर 33 साल से चल रही लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट आज परिसर के पुनः वैज्ञानिक पुरातात्विक सर्वेक्षण को लेकर अपना फैसला सुना सकता है. 19 अक्टूबर को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले में मुकदमे के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से यह दावा किया गया है कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे आदि विशेश्वर का शिवलिंग विराजमान है. इसलिए इस स्थान के साथ ही कमीशन कार्रवाई में मिले वजूखाने में कथित शिवलिंग के पूरे हिस्से की भी वैज्ञानिक विधि से जांच होनी चाहिए. पहले की गई जांच पूरी नहीं थी और खोदाई के साथ अंदर के तत्वों को भी बाहर लाना जरूरी है.
बता दें कि वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट युगुल शंभू की अदालत में इस पूरे मामले की सुनवाई हो रही है. इसमें पिछली सुनवाई में हिंदू पक्ष ने अपनी बातें रखी थीं और मुस्लिम पक्ष ने अपनी बातों को रखने के लिए समय मांगा था. जिस पर दोनों पक्षों की तरफ से बहस की गई. दोनों की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने 19 अक्टूबर को ही 25 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की थी.
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस पूरे परिसर की पुनः सर्वे कराए जाने की याचिका दायर की थी. हिंदू पक्ष के वकीलों का जवाब और जिला पूरी होने के बाद अब फैसला का इंतजार है. वाद मित्र ने दावा किया है कि पिछला एएसआई सर्वे अधूरा था. सर्वे में बिना खुदाई के सही रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकती है. इसलिए एएसआई से ज्ञानवापी में खुदाई कराई जानी आवश्यक है.