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महिला आयोग अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने पौड़ी जिला जेल का किया निरीक्षण, महिला नीति के बताए फायदे

उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल का पौड़ी दौरा, महिला कैदियों से की मुलाकात, वन स्टॉप सेंटर का भी लिया जायजा

KUSUM KANDWAL PAURI VISIT
पौड़ी में महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

पौड़ी:उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल पौड़ी दौरे पर रही. जहां उन्होंने सबसे पहले जिला कारागार खांड्यूसैंण का निरीक्षण किया. उन्होंने जिला कारागार में महिला कैदियों को दी जाने वाली सुविधाओं का बारीकी से जायजा लिया. साथ ही महिलाओं के अधिकारों से भी रूबरू करवाया. जिला कारागार में 8 महिला कैदी हैं, जिन्हें सभी सुविधाएं दी जा रही रही हैं. इसके बाद उन्होंने वन स्टॉप सेंटर में पीड़िताओं को ठहरने, उनकी काउंसलिंग समेत अन्य सुविधाएं का निरीक्षण किया.

उत्तराखंड में महिला नीति जल्द होगी लागू:बता दें कि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की ओर से महिला नीति तैयार कर ली गई है. खासकर पहाड़ की आधी आबादी को कैसे रोजगार से जोड़ना है? उन्हें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाना है. इसके साथ ही उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ अनेक पहलुओं को भी नीति में समायोजित किया गया है. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने बताया कि उत्तराखंड की महिला नीति तैयार हो गई है, जो की जल्द ही लागू हो जाएगी.

कुसुम कंडवाल ने पौड़ी जिला जेल का किया निरीक्षण (वीडियो- ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड की महिला नीति तैयार करने को लेकर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने खासी रुचि दिखाई है. उत्तराखंड के पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों में महिलाएं राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त हो सके, उनके स्वास्थ्य व शिक्षा की नीति में पूरी चिंता की गई है. पहाड़ में आधी आबादी को कैसे रोजगार से जोड़ें, इन सबको नीति में समायोजित किया गया है.

29 अक्टूबर को होगी अहम बैठक:उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने आगामी 29 अक्टूबर को महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के साथ आयोग की एक बैठक होनी है. जिसके बाद जल्द ही यह नीति कैबिनेट में रखी जाएगी और स्वीकृति मिलने पर प्रदेश में लागू हो जाएगी.

सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रखने होगी पैनी नजर:वहीं, प्रदेश में किशोरियों के साथ बढ़ते अपराधों पर उन्होंने कहा कि परिजनों को बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पैनी नजर रखनी पड़ेगी. चाहे वो बेटा हो या बेटी, पूरी निगरानी जरूरी है. जहां एक ओर सोशल मीडिया के फायदे हैं तो दूसरी तरफ दुष्प्रभाव भी हैं. बच्चों को सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से बचाना, आज एक बड़ी चुनौती बन गया है.

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