नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग प्रेमी युगल के डेटिंग के दौरान पकड़े जाने पर लड़के को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जबाव दाखिल करने को कहा है. याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार से जांच करने को कहा है कि क्या ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से बचा जा सकता है. मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी.
अधिवक्ता मनीषा भंडारी ने ये जनहित याचिका दायर की है. नाबालिग लड़की के साथ डेट पर जाने को लेकर लड़की के माता-पिता की शिकायत के आधार पर नाबालिग लड़के की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि POCSO अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6 और 7 के तहत ये कोई अपराध नहीं बनता.
अधिवक्ता मनीषा भंडारी द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में हमेशा दोषी लड़के को माना जाता है. कुछ मामलों में लड़की उम्र में बड़ी होती है तब भी लड़के को ही कस्टडी में लिया जाता है और उसे क्रिमिनल बनाकर जेल में डाल दिया जाता है, जबकि उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसिलिंग होनी चाहिए. ऐसे में जिस उम्र में उसे स्कूल-कॉलेज होना चाहिए था, वो जेल में होता है.