लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की बसों से दुर्घटना होने पर राहगीर असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं. पिछले साल रोडवेज बसों से हुई दुर्घटना में 411 लोगों की मौत हुई है, जबकि 624 यात्री घायल हुए हैं. बस दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें लखनऊ रीजन से संचालित बसों से हुई हैं. यहां पर परिवहन निगम की बसों से 40 दुर्घटनाएं और अनुबंधित बसों से 22 दुर्घटनाएं हुई हैं. इन दुर्घटनाओं में कई परिवारों के चिराग तो बुझे ही हैं, रोडवेज को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. कई करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में देने पड़े हैं. परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर बताते हैं कि बसों से दुर्घटनाएं न हों, इसके लिए हमारी तरफ से पूरे प्रयास किया जा रहे हैं. अब ओवर स्पीडिंग के चलते होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बसों में स्पीड लिमिटिंग डिवाइस लगाई जा रही है, साथ ही ड्राइवर को झपकी आने से दुर्घटना न हो, इसके लिए एंटी स्लिप डिवाइस बसों में लगाई जा रही है. हमें पूरी उम्मीद है कि पिछले साल की तुलना में इस साल दुर्घटनाओं में जरूर कमी आएगी.
हादसे के दो कारण आए सामने:उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की अपनी बसें और अनुबंधित बसों को मिलाकर कुल बेड़ा साढ़े 11 हजार से ज्यादा बसों का है. इन बसों से हर रोज 16 लाख से लेकर 17 लाख यात्री सफर करते हैं. कई बार हादसे भी हो जाते हैं, जिसका शिकार यात्रियों को भी होना पड़ता है. साथ ही राहगीर भी हादसे में अपनी जान गंवा बैठते हैं या घायल हो जाते हैं. यूपीएसआरटीसी के जिम्मेदारों ने जब बसों से होने वाली दुर्घटनाओं के कारणों पर गंभीरता से ध्यान दिया तो सामने आया कि दुर्घटना होने के पीछे का अहम कारण बसों की ओवर स्पीडिंग और बस संचालन के दौरान ड्राइवर को नींद आना होता है. अब यह दोनों कारण हादसे के लिए जिम्मेदार न बनने पाएं, इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम तकनीकी का सहारा ले रहा है.
एंटी स्लीप और स्पीड लिमिटिंग डिवाइस:अब बसों में एंटी स्लीप डिवाइस लगाई जा रही है. यह डिवाइस पांच सेकेंड तक चालक के मूवमेंट न करने पर तत्काल अलर्ट का अलार्म बजा देता है, जिससे चालक एक्टिव हो जाता है और फिर हादसा टल जाता है. इसी तरह बसों की ओवर स्पीडिंग पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए अब रोडवेज बसों को स्पीड लिमिटिंग डिवाइस से लैस किया जा रहा है. इस डिवाइस से बसों की स्पीड 60 किलोमीटर से 65 किलोमीटर प्रति घंटे की नियत की गई है. इससे ज्यादा तेज बस भाग ही नहीं पाती. इससे ओवर स्पीडिंग का चांस नहीं बनता, जिससे हादसों में कमी आई है. अब परिवहन निगम की तरफ से बसों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस भी लगाई जा रही है जिससे बस वर्तमान में बस किस क्षेत्र में है, इसकी स्पीड कितनी है? यह सब कुछ एक क्लिक पर पता लगाया जा सकता है. इससे अब बसों की लोकेशन हमेशा परिवहन निगम के कंट्रोल रूम में मिलती रहती है.
कितने रोडवेज तो कितने अनुबंधित बसों से हुए हादसे:पिछले साल जनवरी से नवंबर माह तक बसों से हुई दुर्घटना का आंकड़ा सामने आया है. 11 माह में कुल 623 बस दुर्घटनाएं हुईं. इनमें से 482 बस दुर्घटनाएं रोडवेज बसों से तो 141 बस दुर्घटनाएं अनुबंधित बसों से हुई हैं. फैटल दुर्घटनाओं की बात की जाए तो 324 घटनाएं हुईं, जिनमें से 233 रोडवेज बसों से तो 91 अनुबंधित बसों से हुईं. मेजर दुर्घटनाओं में कुल 142 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 115 रोडवेज बसों से और 27 अनुबंधित बसों से हुईं. माइनर दुर्घटनाएं 157 हुईं, जिनमें से 134 रोडवेज बसों से और 23 अनुबंधित बसों से हुईं.